मेरा परिचय: सोनाली भारती
मैं, सोनाली भारती, देवघर (झारखंड) की निवासी हूँ। साहित्य सृजन के माध्यम से दर्शन, मानवीय मूल्य एवं व्यक्ति,परिवार तथा समाज की गहरी समझ को व्यक्त करने का प्रयास करती हूँ। मैंने अपनी लेखन यात्रा की शुरुआत 1996 में की थी। मेरे लेखन का आधार जीते हुए विभिन्न परिस्थिति व मनःस्थिति से उत्पन्न विमर्श, दर्शन के पठन - अध्ययन के साथ-साथ वरिष्ठ भैया-दीदी के सान्निध्य में मिले मार्गदर्शन से विकसित हुआ है। मेरे लिए लेखन का अनुभव ऐसा रहा है, मानो अपनी उलझनों और अंतर्द्वंद्वों को अभिव्यक्त करते हुए कई बार उनके समाधान भी मिल गए हों, और यह प्रक्रिया मेरे लिए एक आईने की तरह सहयोगी रही है।
मेरे लिए लेखनी आत्म-संवाद और आत्म-मूल्यांकन का एक सशक्त माध्यम है, जो न केवल मुझे अपनी समझ को स्पष्टता से जीने और व्यक्त करने में मदद करती है, बल्कि पाठकों को भी प्रेरित करती है। मेरी कविताएं, कहानियां और गीत पाठकों की विश्लेषण क्षमता को प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें समस्याओं के समाधान की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करते हैं। मेरा मानना है कि सही सोच-विचार को बढ़ावा देकर हम भेदभावमुक्त समाज के निर्माण में योगदान कर सकते हैं।
आज जब अमानवीय सामग्री और विकृत मानसिकता को बढ़ावा देने वाली रचनाएँ लोकप्रिय हो रही हैं, मेरा प्रयास है कि मेरी रचनाएँ सही सोच विकसित करने और मानवता को जागरूक करने में भूमिका निभाएं। 2011 से मैं मध्यस्थ दर्शन (सह-अस्तित्ववाद) से जुड़ी हूं और श्रवण,पठन - अध्ययन के द्वारा इसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास कर रही हूँ। मेरे लिए लेखन केवल शब्दों का संयोजन भर नहीं है, बल्कि यह मेरे जीवन की उलझनों और अंतर्द्वंद्वों का समाधान खोजने का साधन है।
मैंने अपनी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने की अनुमति दी है, ताकि सार्थक रचनाएं अधिकाधिक लोगों तक पहुंच सके और उनसे प्राप्त सुझाव से मेरी अंतर्यात्रा के साथ चल रही लेखनी और भी सुगमता से सत्पथ की ओर गतित हो सके।