मेरा नाम बालमुकुंद है, और मैं अहमदाबाद में रहता हूँ। मैंने अपनी लेखन यात्रा 2004 में शुरू की थी। मेरी लेखन की प्रेरणा मुझे मेरी पत्नी, विधि से मिली, जिन्होंने मुझे सह-अस्तित्व के महत्व को समझने और पूरकता के भाव को विकसित करने के लिए प्रेरित किया। इस गहरी समझ का प्रभाव मेरी रचनाओं में साफ झलकता है।
मुझे विश्वास है कि मेरी रचनाएँ पाठकों के मानसिक विकास और स्वास्थ्य में सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। भले ही यह प्रभाव कभी-कभी कम मात्रा में दिखाई दे, लेकिन इसका असर गहरा और स्थायी होता है। मैं अपने साहित्य के माध्यम से सह-अस्तित्व और पूरकता के विचारों को बढ़ावा देने का प्रयास करता हूँ, जो आज की दुनिया में अमानवीयता के बढ़ते प्रभाव के बीच एक सार्थक विकल्प प्रदान करता है।
पिछले 19 वर्षों से मैं मध्यस्थ दर्शन (सह-अस्तित्ववाद) का अध्ययन कर रहा हूँ। इस दर्शन ने न केवल मेरे जीवन को प्रभावित किया है बल्कि सरलता से जीने का अभ्यास भी सिखाया है। मैं इन सिद्धांतों को अपने व्यवहार में उतारता हूँ और अपने लेखन में सरलता से जीवन मूल्यों को व्यक्त करने का प्रयास करता हूँ, ताकि पाठकों को इन विचारों को अपनाने की प्रेरणा मिल सके।
मैंने अपनी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए सहमति दी है। साथ ही, मैंने इस बात पर भी सहमति व्यक्त की है कि मेरी कविताएं, कहानियां और गीत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा किए जाएं, ताकि सह-अस्तित्व और पूरकता के विचारों का प्रसार अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सके और मानवीय आचरण को प्रोत्साहन मिल सके।