आचार्य चंद्र भूषण तिवारी: एक परिचय
मेरा नाम आचार्य चंद्र भूषण तिवारी है और मैं 3/69 रजनी खंड, शारदा नगर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में रहता हूँ। मैंने अपनी पहली कविता, गीत, या कहानी कक्षा छठवीं में लिखी थी। मेरे लेखन की प्रेरणा मुझे प्रकृति और आस-पास के व्यवहार से मिलती है।
मेरी रचनाओं में मानवीय संबंधों और प्रकृति के साथ जुड़ाव की गहरी समझ है, जो मुझे नागराज बाबाजी के दर्शन ‘सह-अस्तित्ववाद’ को समझने के बाद प्राप्त हुई। इस मार्गदर्शन के लिए मैं बाबाजी और उनके साथ अध्ययन से जुड़े सभी भाई-बहनों के प्रति कृतज्ञ हूँ।
मेरे लेखन के प्रभाव के बारे में तो पाठक और श्रोता ही बेहतर बता सकते हैं, पर मुझे लगता है कि बहुत से लोग रचनात्मक और सकारात्मक साहित्य के प्रेमी होते हैं क्योंकि मानव का मूल स्वभाव प्रेम ही है। मैं अपनी कविताओं, गीतों, और कहानियों के माध्यम से पाठकों के मानसिक विकास और उनके सोचने-समझने की क्षमता में सकारात्मक योगदान देने का प्रयास करता हूँ। मेरी रचनाएँ पाठकों को प्रेरित करती हैं कि वे अपने और दूसरों के साथ मानवीय और सह-अस्तित्वपूर्ण संबंध बनाए रखें।
मैं 1998 से ‘मध्यस्थ दर्शन’ (सह-अस्तित्ववाद) से जुड़ा हूँ और इस दर्शन को समझने के बाद मैं यह मानता हूँ कि मानव और प्रकृति के बीच का संबंध सबसे महत्वपूर्ण है। अपने लेखन में मैं इन विचारों को गद्य और पद्य के रूप में व्यक्त करता हूँ और यह मेरे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
मेरी माँ ने मेरी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए सहमति दी है, और मैं यह भी सहमत हूँ कि मेरी कविताओं और कहानियों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर साझा किया जाए ताकि यह और अधिक लोगों तक पहुँच सके।