Loading...
 

Niroj

मेरा परिचय: निरोजचन्द्र गडतिआ जी

मैं निरोजचन्द्र गडतिआ, ओडिशा के गाँव खरमुण्डा का निवासी हूँ और छत्तीसगढ़ के अछोटी स्थित अभ्युदय संस्थान में भी सक्रिय रूप से जुड़ा हूँ। मैंने 1993 में अपनी पहली कविता लिखी थी, और 2015 में गीत लेखन की शुरुआत की। मेरे लेखन की प्रेरणा मुझे प्रकृति, समाज और समग्र अस्तित्व से मिलती है, जो मेरी रचनाओं में गहराई और वास्तविकता के रूप में प्रकट होती है।

मेरी कविताएँ और गीत पाठकों के मानसिक विकास और स्वास्थ्य में सकारात्मक योगदान देते हैं, क्योंकि मैं अपनी रचनाओं के माध्यम से वास्तविकता और प्रासंगिकता को स्थापित करने का प्रयास करता हूँ। मेरा मानना है कि इनसान सिर्फ एक यांत्रिक प्राणी नहीं है, बल्कि मानवता एक सार्वभौमिक गुण है। मेरी रचनाएँ अमानवीयता के बढ़ते प्रभाव के बीच मानवीय मूल्यों को जागृत करने और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

पिछले 10 वर्षों से मैं मध्यस्थ दर्शन (सह-अस्तित्ववाद) का अध्ययन कर रहा हूँ। इस दर्शन ने मेरे जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। मैं परस्परता में जीते हुए न्याय को अपने जीवन में अभ्यास में लाने का प्रयास करता हूँ, जिससे मेरे आचरण में विरोधाभास कम हुआ है। मेरी रचनाओं में भी इस समरसता और संतुलन की झलक साफ दिखाई देती है।

मैंने अपनी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने की सहमति दी है। साथ ही, मैं इस बात से भी सहमत हूँ कि मेरी कविताएँ और गीत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा किए जाएं, ताकि अधिक से अधिक लोग मेरे विचारों और मानवीय संदेशों से प्रेरणा ले सकें और सह-अस्तित्व तथा मानवता के मूल्यों को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ सकें।


Back