मेरा परिचय: राजेश बहुगुणा जी
मैं राजेश बहुगुणा, ऋषिकेश (उत्तराखंड) का निवासी हूँ। अपने लेखन के माध्यम से समाज में अपने विचारों में स्पष्टता लाने का प्रयास कर रहा हूँ। मेरी लेखन यात्रा की शुरुआत मैंने कक्षा 8 या 9 के दौरान की थी। हालांकि, 2021 में जीवन विद्या की रोशनी में लेखन को एक नए दृष्टिकोण से लिखने का अवसर मिला, जब मुझे कुछ पाठ्यक्रम की समीक्षा करने की आवश्यकता हुई। इसके जरिये मैं मान्यताओं की समीक्षा और वास्तविकता के प्रति ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करता हूँ।
मुझे लेखन की प्रेरणा तब मिलती है, जब मैं किसी विशेष आवश्यकता को महसूस करता हूँ, जैसे विद्यार्थियों की पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा के दौरान। मेरा प्रयास है कि मेरी कविताएं, कहानियां और गीत पाठकों को मान्यताओं और वास्तविकता के बीच अंतर को समझने के लिए प्रेरित करें, जिससे उनके मानसिक विकास और स्वास्थ्य में सकारात्मक योगदान हो सकता है।
आज की दुनिया में, जहाँ अमानवीय सामग्री का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है, मेरी रचनाएँ एक मानवीय साहित्य रचना की दिशा दिखाने का प्रयास है। मेरा विश्वास है कि यदि साहित्य को सरल भाषा और सहज ढंग से प्रस्तुत किया जाए, तो वह लोगों तक अधिक प्रभावी रूप से पहुँच सकता है। मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि ज्ञानमार्ग के लोगों को आम जनता की पहुँच में रहने वाली भाषा में लिखना चाहिए, जैसे प्रेमचंद की सहज हिन्दी और जयशंकर प्रसाद की संस्कृतनिष्ठ हिन्दी। साहित्य का उद्देश्य दर्शन सिखाना नहीं, बल्कि लोगों को दर्शन के प्रति जागरूक और प्रेरित करना होना चाहिए।
मैं 2004 से मध्यस्थ दर्शन (सह-अस्तित्ववाद) का अध्ययन कर रहा हूँ और अपने जीवन में इस दर्शन को लागू करने का प्रयास करता हूँ। मैं नियमित रूप से यह जाँचता हूँ कि मेरी कही गई बातों या किए गए कार्यों में कोई पुरानी मान्यता तो नहीं जुड़ी है, ताकि मेरा संदेश स्पष्ट और सुसंगत हो।
मैंने अपनी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने की सहमति दी है। साथ ही, मैं इस बात से भी सहमत हूँ कि मेरी कविताएं, कहानियां और गीत सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर साझा किए जाएं, ताकि मेरे विचार और अनुभव अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सकें और उन्हें प्रेरित कर सकें।