मेरा परिचय: सुरेन्द्र पाठक जी
मैं सुरेन्द्र पाठक, एक अनुभवी और संवेदनशील लेखक हूँ। पिछले 25 वर्षों से मैं अपने साहित्य के माध्यम से मानवता और जीवन के विभिन्न आयामों को समझने और प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूँ। मेरे लेखन की प्रेरणा मुझे विभिन्न लेखकों को पढ़ने से मिली, और मैंने इस प्रेरणा को अपनी रचनाओं में ढालते हुए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का प्रयास किया है।
मेरा मानना है कि किसी भी साहित्य की प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह लेखक की समझ और दृष्टिकोण को कैसे व्यक्त करता है। यदि लेखन मानवीय मूल्यों पर आधारित हो, तो वह समाज पर गहरा प्रभाव छोड़ सकता है और पाठकों के मानसिक विकास और स्वास्थ्य में भी सकारात्मक योगदान दे सकता है। मेरे दृष्टिकोण में, साहित्य का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं है, बल्कि मानवीयता और सह-अस्तित्व के विचारों को जन-जन तक पहुँचाना है।
पिछले 25 वर्षों से मैं मध्यस्थ दर्शन (सह-अस्तित्ववाद) का अध्ययन कर रहा हूँ। मैंने इस दर्शन के सिद्धांतों को न केवल अपने लेखन में उतारने का प्रयास किया है, बल्कि अपने जीवन में भी इसे लागू करने की कोशिश की है। मेरे लिए लेखन केवल शब्दों की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि भावों का घनीभूत रूप है। लेखन की प्रक्रिया मुझे अपने विचारों को एक निश्चित दिशा में प्रवाहित करने में मदद करती है, जिससे किसी भी विषय के निष्कर्ष तक पहुँचने में आसानी होती है।
मैंने अपनी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने की सहमति दी है। इसके साथ ही, मैंने इस बात पर भी सहमति व्यक्त की है कि मेरी रचनाओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा किया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग मेरे विचारों से लाभान्वित हो सकें और मानवीयता तथा सह-अस्तित्व के सिद्धांतों को समझ सकें। मेरा लेखन वर्तमान समय की चुनौतियों और समस्याओं के समाधान की दिशा में प्रेरणा देने का एक सशक्त माध्यम है।
Prof. Surendra Kumar Pathak, M. Tech, MJMC, PhD, the Consultant and Principal Investigator for the Vasudhaiva Kutumbakam book project, is a highly respected figure in the academic world. His distinguished 30 years of educational career includes serving as a Professor at L.J. University, Ahmedabad, and as an Adjunct Professor at Gujarat Vidyapith, Ahmedabad. He was also NAAC and Media Consultant at Dr. BR. Ambedkar University of Social Science, Mhow. He spent four years as a Professor of Values Education at IASE Deemed University. His experience includes being the director of the Jeevan Vidya Study Centre at Somaiya Vidya Vihar, Mumbai. He spent 14 years as a Lecturer in the Department of Journalism at MCPRV, Bhopal. He began his academic journey as a faculty member at Dr. H.S. Gaur University, Sagar and Chitrakoot Gramodaya University, and has also been the Project Director of 20 Existential Harmony Research Projects and has held several significant academic positions, including Director of Research and Dean of Social Sciences. Multiple institutions and organizations have recognized his contributions to education, and he has been honoured as a Chair and Keynote Speaker at various conferences and seminars. For the last 25 years, Dr. Pathak has continued to inspire and lead as a respected teacher (Prabodhak) of Jeevan Vidya (Madhyasth Darshan).