मेरा परिचय: श्रीमती उर्मिला सिदार जी (साहित्य नाम: उर्मी)
मैं उर्मिला सिदार, जिन्हें साहित्यिक जगत में “उर्मी” के नाम से भी जाना जाता है, छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के ग्राम बुलाँकी की निवासी हूँ। मैंने 1984-85 के आसपास लेखन की शुरुआत की थी। प्रारंभिक दौर में मैंने कविता, गीत, कहानी, चुटकुले, जनुला (जन हितकारी) लेखन, लघुकथा और अन्य साहित्यिक विधाओं में हाथ आजमाया। मेरी लेखन यात्रा की प्रेरणा मुझे पुस्तकों के पठन-पाठन से मिली, जिससे मेरे मन में साहित्य सृजन की इच्छा जागृत हुई। सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और महादेवी वर्मा जैसे साहित्यकारों की रचनाएँ पढ़कर मैं भी साहित्य रचने के लिए प्रेरित हुई। मेरी शुरुआती रचनाओं का प्रकाशन करने का सुझाव मुझे कपूर चंद्र गुप्ता भैया जी से मिला, जिसने मेरे लेखन को एक नया आयाम दिया।
मेरी रचनाएँ मुख्यतः वास्तविकता पर आधारित होती हैं, और मैं अपने आस-पास की घटनाओं, वातावरण और बाल साहित्य में अपनी सृजनात्मकता व्यक्त करती हूँ। दर्शन से जुड़ने से पहले मैं कल्पनाशीलता के साथ लेखन करती थी, लेकिन 2009 में मध्यस्थ दर्शन से जुड़ने के बाद मेरे लेखन में एक नया दृष्टिकोण आया। 2013-14 से मैंने इस दर्शन का गहन अध्ययन शुरू किया, जिससे मेरे लेखन में वास्तविकता के प्रति जागरूकता बढ़ी और पाठकों के मन-मस्तिष्क पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
मुझे विश्वास है कि मेरी कविताएं और कहानियाँ पाठकों के मानसिक विकास और स्वास्थ्य में योगदान करती हैं। मेरा साहित्य वास्तविकता को दर्शाता है, जो पाठकों को सही दिशा में सोचने और कार्य व्यवहार में सुधार लाने के लिए प्रेरित करता है। मेरा मानना है कि यदि पाठक साहित्य के माध्यम से वास्तविकता को स्वीकार कर पाते हैं, तो इसका सकारात्मक प्रभाव उनकी मानसिकता और स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
समाज को एक नई दिशा देने के प्रयास में मैं निरंतर सक्रिय हूँ। मेरी प्रकाशित पुस्तकें मेरे ब्लॉक की सभी स्कूलों में निशुल्क उपलब्ध कराई गई हैं, ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थियों को लाभ मिल सके। मैंने आज तक अपनी किसी भी प्रकाशित पुस्तक के लिए कोई शुल्क नहीं लिया है, और मेरा सारा साहित्य स्वांतः सुखायं के लिए है।
मैंने अपनी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने की सहमति दी है, ताकि मेरे विचार और अनुभव अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँच सकें और मानवीयता, सह-अस्तित्व और सही आचरण की भावना को बढ़ावा मिल सके।
🌺 परिचय🌺
नाम- उर्मिला सिदार
(व्यख्याता भूगोल)
माता श्री- स्वर्गीय श्रीमती गुरबारी देवी सिदार,
पिताश्री -स्वर्गीय श्री घसिया राम सिदार,
शिक्षा- एम. ए. भूगोल, हिंदी
जन्म- 15 जुलाई सन 1964 मिरौनी
बिलासपुर( छ.ग.)में
बचपन- ग्राम मिरौनी में बीता,
प्राथमिक शिक्षा -मिरौनी,
मिडिल शिक्षा-मड़वा,
मैट्रिक शिक्षा- चंद्रपुर ,
स्नातक एवं स्नातकोत्तर शिक्षा- स्वाध्याय छात्र के रूप में गुरु घसीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर (छत्तीसगढ़) से
विवाह- 2 अप्रैल सन् 1982 में
पति श्री- श्री मंगल सिंह सिदार (भूगोल व्याख्याता)
परिवार-2 सुपुत्र,
जेष्ठ पुत्र -सतीश सिदार,
कनिष्ठ पुत्र- सिरिल सिदार,
जेष्ठ पुत्र वधु-रजनी सिदार,
पोती-स्नेहा सिदार ,
पोता-श्लोक सिदार |
लेखन अनुभव- बाल कहानी ‘बाल कविता, चुटकुला ,जनुला ,नीति वाक्य ,वर्तमान परिवेश की कविताएं, साहित्य की अनेक विधाओं में लेखन, सामाजिक चिंतन ,पर्यावरण चिंतन, बचपन के अनुभव छत्तीसगढ़ी एवं हिंदी भाषाओं में,
मध्यस्थ दर्शन-जुड़ाव 2009 से,
अध्ययन शिविर-2013-14 अछौटी में, वर्तमान में अध्ययनार्थी के रूप में ,
प्रकाशन- भावनाओं की बगिया,सुन तो ले मोर गोठ,अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेखन।
सम्मान- उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान ,नारी सशक्तिकरण सम्मान, मातृका काव्य मंजूषा सम्मान ,मातृका लेखिका सम्मान ,विंध्याचल गौरव सम्मान, काव्य गौरव सम्मान, दीनदयाल उपाध्याय स्मृति सम्मान ,सैनिक शहीद शौर्य सम्मान, कवि सौरभ सम्मान ,राखी स्मृति सम्मान ,कारगिल विजय स्मृति सम्मान ,जनसंख्या स्मृति सम्मान, हिंदी साहित्य रत्न सम्मान ,श्रेष्ठ सृजन सम्मान ,साहित्य प्रभाकर सम्मान, उत्तम सृजन सम्मान, हिंदी साहित्य कलम सम्मान ,बाबा खाटू श्याम रत्न सम्मान, श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, कवि सौरभ सम्मान ,स्वतंत्रता स्मृति सम्मान ,मीन साहित्य धरोहर सम्मान, सर्वश्रेष्ठ उत्कृष्ट सम्मान ,पर्यावरण शाखा सम्मान ,मातृका विवेक सम्मान, ऑर्गेनिक क्षेत्र में प्रभाकर केलकर सम्मान और अनेक प्रशस्ति पत्र।
संप्रति -अध्यापन सम सामयिक विषयों एवं साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन रत ,
अन्य कार्य -लेखिका ,कवित्री, ऑर्गेनिक कृषिका, सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्य पढ़ना, पढाना
आदि।
संपर्क सूत्र- ग्राम-बुलाँकी
पोस्ट ऑफिस -गोर्रा
विकास खण्ड- पुसौर
जिला- रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
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