मेरा परिचय: विधि जी
मैं विधि, अहमदाबाद की निवासी हूँ, और मैंने अपनी लेखन यात्रा छह वर्ष पहले शुरू की थी। मेरी कविताएँ और कहानियाँ संस्कृति और सभ्यता का दर्पण हैं, जो उत्सवों में संस्कारों के महत्व को उजागर करती हैं। मेरा मानना है कि संस्कारों के माध्यम से हम सभी मिलकर एक अखंड समाज की दिशा में बढ़ सकते हैं। मेरे अनुसार, बिना अखंड समाज के सार्वभौम व्यवस्था की कल्पना संभव नहीं है।
मेरी रचनाओं ने सबसे पहले मेरे स्वयं के मानसिक विकास और स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी अनुभव के आधार पर मुझे विश्वास है कि मेरी कविताएं और कहानियाँ दूसरों के मानसिक विकास और स्वास्थ्य में भी सहायक सिद्ध हो सकती हैं। मेरी रचनाएँ मानवीय आचरण को दृढ़ और प्रेरित करने का माध्यम बनती हैं, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास होता है।
पिछले 16 वर्षों से मैं मध्यस्थ दर्शन (सह-अस्तित्ववाद) का अध्ययन कर रही हूँ। मेरे लेखन की प्रेरणा अ. नागराज जी के आचरण से मिली है, जिनके व्यवहार का मैं अपने जीवन में अनुकरण करती हूँ। मेरे अनुसार, साहित्य में वही तत्व आता है, जिसे जीवन में जीने का प्रयास किया जाता है। यही मेरे लेखन का मूल आधार है और यह मुझे जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
मैंने अपनी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने की सहमति दी है। साथ ही, मैंने इस बात से भी सहमति व्यक्त की है कि मेरी कविताएँ, कहानियाँ और गीत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा किए जाएं, ताकि मानवीय आचरण, संस्कारों और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रसार में मेरी रचनाएँ सहायक बन सकें।