मेरा परिचय: चित्रा ऋतुबंध जी
मेरा नाम चित्रा ऋतुबंध है, और मैं महाराष्ट्र के पुणे में रहती हूँ। मैंने अपनी लेखन यात्रा लगभग 40 साल पहले शुरू की थी। मेरे लेखन की प्रेरणा मुझे जीवन के विभिन्न अनुभवों से मिली, जिसने मुझे मानवीय जीवन और उसकी जटिलताओं को गहराई से समझने का अवसर दिया। मेरे लिए लेखन एक ऐसा साधन है, जिससे मैं जीवन को समझने और अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का प्रयास करती हूँ।
मुझे विश्वास है कि मेरी कविताएं, कहानियां और गीत पाठकों के मानसिक विकास और स्वास्थ्य में योगदान कर सकते हैं। मैं अपनी रचनाओं के माध्यम से पाठकों को जीवन की वास्तविकता और मानवीय मूल्यों को समझने के लिए प्रेरित करती हूँ। मेरा साहित्य आत्म-चिंतन की दिशा में प्रेरित करता है, जिससे पाठक मानवीयता, न्याय, धर्म और सत्य की राह पर चलने के लिए प्रोत्साहित हो सकें।
आज की दुनिया में, जहाँ अमानवीय सामग्री और असंवेदनशीलता बढ़ती जा रही है, मेरा प्रयास है कि मेरी रचनाएँ पाठकों को मानवीय मूल्यों की गहराई को समझने और उसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करें। मेरा उद्देश्य है कि मेरी रचनाएँ पाठकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएँ और समाज में मानवता और सह-अस्तित्व की भावना को प्रबल करें।
पिछले 8 वर्षों से मैं मध्यस्थ दर्शन (सह-अस्तित्ववाद) का अध्ययन कर रही हूँ। मैंने इस दर्शन के सिद्धांतों को अपने जीवन में भी उतारने का प्रयास किया है। मेरे लेखन में न्याय, धर्म और सत्य की दृष्टि से जीने का प्रतिबिंब स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मैंने जो भी जीवन में समझा और आत्मसात किया, वही मेरे लेखन की प्रेरणा और आधार बना है।
मैंने अपनी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने की अनुमति दी है, ताकि मेरे विचार और अनुभव अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँच सकें। इसके साथ ही, मैंने इस बात पर भी सहमति दी है कि मेरी कविताओं, कहानियों और गीतों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा किया जाए, ताकि समाज में सह-अस्तित्व, मानवीय मूल्यों और सही आचरण की भावना का प्रसार हो सके।