रौनक और गौरव भाई थे। उनके पिता पौरव चौधरी और माता सुनीता चौधरी किसान थे। एक दिन उनके माता-पिता आम का पौधा लगाने खेत पर गए थे। रौनक और गौरव ने सोचा कि वे भी अपने घर के पास एक नीम का पौधा लगाएंगे। कल उनके स्कूल में औषिधीय पेड़ों के जानकारी दी गई थी। उन्होंने जाना कि नीम का बहुत उपयोगी औषधि है। दोनों ने खेती के कुछ औजार लिए एक छोटा नीम का पौधा लिया और घर के पीछे के बगीचे में गए। वहाँ रौनक खोदने का औजार लिया और गड्ढा बनाने की तैयारी की। लेकिन गौरव ने कहा कि गड्ढा तो मैं ही बनाऊँगा तुम पौधा लगाना। लेकिन रौनक ने औजार देने से मना कर दिया। गौरव को गुस्सा आया और उसने अपने हाथ का औजार जोर से नीचे फेंका। औजार जाकर रौनक के पैर में लगा और वहां पर खून बहने लगा । अब गौरव घबराया। लेकिन रौनक ने कहा कि घबराओ नहीं घर में जाओ पिताजी के दाढ़ी बनाने के सामान में से फिटकरी लो और गरम पानी में डाल कर यहाँ ले आओ। गौरव ने ऐसा ही किया। रौनक ने गरम पानी से अपना घाव धोया और घाव के आसपास फिटकरी को नरम हाथों से रगड़ा। गौरव देख कर हैरान हो गया कि खून बहना बंद हो गया।

गौरव ने पूछा, तुमने ये सब कहाँ से सीखा? रौनक ने बताया कि उसके स्कूल में शिक्षिका ने घरेलू औषधि के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि फिटकरी मिले गरम पानी से घाव धोने पर खून का बहना रुक जाता है और फिटकरी से हानिकारक कीटाणु मर जाते हैं। इससे घाव जल्दी ठीक हो जाता है।

लेकिन गौरव अब भी कुछ घबराया था। रौनक ने कहा, घबराओ नहीं मैं माता-पिता से कह दूंगा कि मैं गिर गया था। लेकिन पहले तुम यह वादा करो कि इस तरह बात-बात पर गुस्सा नहीं करोगे। गौरव ने वादा किया और दोनों घर के अंदर चले गए।


Rajesh Bahuguna

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