Woman तुम Human हो जाओ !
बड़ा भुलावा, बड़ा छलावा,
बड़ी भूल, भ्रम वश जो हुई ।
समाधान जब मिल न सका,
तो समाधि की भूख हुई ।
संयम विहीन वे थे जिनने,
तुमको तप में व्यवधान कहा ।
अरे ! देह नहीं तुम, देवी हो,
साधक हो तुम, समाधान की,
तोड़ मान्यता की जंजीरें,
प्रिय, हित, लाभ से पर हो जाओ ।
Woman तुम Human हो जाओ ।
शरीर से उठकर, चेतना विकसित कर,
देवी की उपमा सार्थक कर,
सत्य समझकर, तृप्ति अनुभव कर,
सहज, सरल सुंदर हो जाओ।
Woman तुम Human हो जाओ ।
धीर, वीर , उदार हृदय से,
दया, कृपा, करुणा कर पाओ ।
हर अभिव्यक्ति हो गौरवशाली,
मानव परंपरा का मान बढ़ाओ।
Woman तुम Human हो जाओ ।
रचनाकार : शालिनी जनक