इमरजेंसी


जब सबकुछ है साथ साथ,
फिर तेरा क्या, मेरा क्या?
अपना क्या, पराया क्या?
व्यक्ति व्यक्तिवादिता में,
समाज सामुदायिकता में,
जब सिमट गया हो,
तो फिर मानवीकता क्या,
सामाजिकता क्या?
शब्द सजाके कविता लिखकर
संतोष मत हो जाना,
इन्सानियत जब इमरजेंसी में हो,
तो फिर आराम क्या, थकान क्या?

निरोज
13/11/2023
अभ्यास स्थली, डोंगर (छ.ग)


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