ये मानव अकेला न चल पाएगा।
बिना साथ के वह न रह पाएगा ।
न अकेला रहा है न रह पाएगा ।
उसे समझा दो वोही समझ जाएगा ।
उसे शिखा दो वो ही सिख जाएगा । कर दो थोड़ी दया वो भी कर पाएगा ।कर दो थोड़ी कृपा वो संभल जाएगा । उसे साथ सबका अभी चाहिए । फिर तो मंजिल पे वो भी पहुंच जाएगा । उपकार कर उसे थोड़ा समझा ही दो ।ये अस्तित्व क्या है थोड़ा बता ही दो ।वो फिर सारी व्यवस्था समझ जाएगा । समस्याएं सारी सुलझ जाएगी ।मानवीयता फिर स्थापन हो जायेगी ।जब उपयोगिता को अपनी वो पहचान लेगा । पुराकतको अपनी वो जान लेगा ।ये संसार स्वयं ही बदल जायेगा ।धरती पे स्वर्ग भी यूं ही आ जायेगा। कारवा चल पड़ा है वो भी चल पड़ेगा।जरूरत है हमारी मंगलकामना की ।शुभ हो मंगल हो भूमि स्वर्ग है ।

Jay kumar ji


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