रिश्ते-एक खूबसूरत भाव का बंधन

चलते हैं 1964-65 के दशक में।

एक नई नवेली दुल्हन छिंदवाड़ा के एक सरकारी विभाग irrigation department के ऑफिसर की पत्नी बन के आईं।

तब पूरा PWD परिवार होता था। सब साथ२ होते थे बिन हिचक-झिझक के।

सुरेंद्र कुमार शर्मा अंकल थे वो दूल्हे राजा और उनकी प्यारी दुल्हन थीं वसुंधरा। तब उत्सव मनाने का इंतज़ार नहीं होता था,इन विभागों में दूरियों या अहम की रेखाएं नहीं होती थीं और ना ही तब के कलेक्टर में ऐसा कुछ होता था।

मेरे पिताजी की भी पोस्टिंग वहीं थी। H P Jaiswal अंकल भी वहीं थे।मेरी मम्मी क्यों कि सिलाई बुनाई कशीदा में मास्टर थीं,तो इन सभी की भाभी जी बन गईं। मेरी मम्मी का मासी परिवार छिंदवाड़ा में था,अभी भी सुरेश ब्रदर्स नाम से फर्म है वहाँ। फिर सिद्धराज मामा सा मामीसा साथ हो लेते थे,यानी ये सरकारी विभाग समाज का एक हिस्सा होता था,और सारे परिवार एकअभिन्न अंग।

ऐसे ही सभी ने शर्मा आंटी का स्वागत किया और हो गई वो इस कुनबे में शामिल। शर्मा अंकल,आंटी पे हमेशा फ़िदा रहते थे। आंटी को भी सजने संवरने का बड़ा शौक़ था। अंकल उनके लिए चूड़ी आदि लाते रहते,उनके सारे नाज़ नख़रे ख़ुशी से पूरे करते।

1966 में इन सारे सरकारी परिवारों के बीच मेरा जन्म हुआ।मैं इन सभी परिवारों की बड़ी बेटी बन गई। कहते है कि अंकल आंटी ने मुझे गोद में ले कर कहा कि ये आज से हमारी बेटी। आज तक ये संबंध इस ही तरह से निभ रहा है। Pranita Sharma भाभी राजीव ( रोमी भाई ) मुझे आज तक बड़ी बहन होने का सम्मान देते है।

शर्मा अंकल की बाद में बलौदा बाज़ार पोस्टिंग रही और तब पापा रायपुर में पोस्टेड थे। एक बरसाती दिन अंकल को कार्डियक अरेस्ट हुआ और उन्हें उपचार ना मिलने के कारण उनका शरीर शांत हो गया। हम सभी और रोमी संजू भी छोटे ही थे।पापा मम्मी अन्य दोस्तों ने मिल कर पूरी की अपनी ज़िम्मेदारी।

दोस्ती तो यहाँ से शुरू हुई अब। आंटी को अनुकंपा नियुक्ति मिली रायपुर इरिगेशन ऑफिस में क्लर्क की। एक कार्यालय यंत्री की पत्नी से क्लर्क का काम उन्होंने स्वीकारा। न्यू शांति नगर में उनको सरकारी घर मिला।

मुझे आज भी याद है मैं बेटी होने के नाते वो घर को जमाने में आंटी की हेल्प करने गई थी। आंटी ने भी बड़ी ही हिम्मत दिखाई और अपना सब लगा दिया,हर अभिभावक की तरह,बच्चों को बड़ा करने में,उनको पढ़ाने,उनकी जरूरतों को पूरी करने में,उनको सेटल करने में।

आगे हमारे परिवारों का जोड़ और पक्का होता गया। 1986 में मेरी शादी हुई रोमी इंजीनियरिंग कर रहे थे और संजू मेडिकल कॉलेज में MBBS. रोमी ने boarder road ways जॉइन किया और प्रणिता से उनका विवाह हुआ।

ऐसे में आंटी ने फिर फ़ोन कर के कहा मुझे,’तुम बेटी हो,शादी की तैयारी करवाने आओ,मदद करो मेरी’!

मैंने और आंटी ने शादी की तैयारी से ले कर शादी के कई काम किए।उन्होंने ये मेरी बड़ी बेटी है बोल बोल के पूरे काम और रस्म करवाईं ।

सम्मान और प्यार पाना किसको अच्छा नहीं लगता ? याद नहीं कब से पर रोमी संजू को और आज तक रोमी को मैं राखी बांधते ही आई हूँ। रोमी- प्रणीता हर राखी भाईदूज मेरे पास आते है और राखी बंधवाते है ।हाल ही रोमी की बेटी यानी मेरी भतीजी ऐश्वर्या का विवाह हुआ और आंटी की ख़ुशी -शॉपिंग उनका तैयार होना और मेरे लिए पूरे परिवार का वो स्नेह देखते बनता था। एक तृप्ति रही हमेशा,आंटी का हाथ पकड़ कर बैठने में।

मेरे पापा ने 1993 में एक एक्सीडेंट के बाद, ये यात्रा पूरी की और अपना भौतिक शरीर त्याग दिया था।उसके बाद भी परिवारों की दोस्ती बनी रही।

मेरी मम्मी की सहेली शर्मा आंटी और प्रेम आंटी। इनकी तिकड़ी रायपुर में वैलेंटाइन डे,फ्रेंडशिप डे से ले कर बर्थडे तक मनाते रहे।

संपर्क से संबंधों की ये यात्रा बड़ी तृप्तिदाई सुखद रही। H P अंकल आज भी साल में एक बार मेरे जन्म दिन में कॉल लगते है।

छिंदवाड़ा से मेरे कुछ मामा सा रायपुर आए और वो संबंध मुझे लाड़ करने का चलता रहा।

सिद्धराज मामा सा मामी सा जब तक रहे और रायपुर आते थे तो फिर वो लाड मेरा मुझे मिलता रहा। Manish Baidmutha भाई से वर्षों बाद स्नेह के धागे जुड़े। और फिर वो बड़ी बहन का सम्मान मिल ही रहा है। कामठी वाले सारे परिवार का स्नेह देखते ही बनता है आज भी।

इनमें से सुरेश ब्रदर्स का बैद्यमुथा परिवार मम्मी की तरफ़ से रिश्ते में था वर्ना किसी से कोई खून का संबंध नहीं था। पर मन से मन का रिश्ता-विश्व में,इंसानियत के प्रति,संबंधों के प्रति विश्वास जगाता है।

यही रिश्ता मुकम्मल किया शर्मा अंकल-आंटी और रोमी-प्रणीता ने। (हालाँकि संजू और शालिनी भी सामने दिखने पे उतना ही सम्मान करते है।) पर निभाना और स्नेह करना कितना कितना सरल,सहज सुखद और सुंदर है ये हमको आज ज़्यादा अच्छे से समझ आया है।🎉💥💫💫❣️

मेरी आंटी - माँ,अपनी ज़िंदगी को ख़ूब ख़ुशगवार हो कर गुज़ारा और कैंसर जैसी बीमारी को भी बड़े हौंसला के साथ फेस किया।

कल सुबह आंटी-माँ ने अपनी ये शरीर यात्रा पूरी की और आज उनकी अंतिम यात्रा भी पूरी हुई। पर ये इस शरीर की अंतिम यात्रा थी उनकी,हममें तो वो हमेशा जियेंगी एक संबंध के पूरे होने की तृप्ति के उत्सव के रूप में। और शायद हम ऐसी ही मिसाल,प्रेरणा अपने बच्चों में दे जायें कि विश्व एक परिवार है-सुखद सुंदर अनन्यता और प्रेम से परिपूर्ण।🥰🎉🤗🤗💫💫।

Neeti Jain ji

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