मम्मा मुझे घड़ी चाहिए और अभी!!! 4 साल का वंश जिद किए जा रहा था ।
सपना वंश को थोड़ा अनसुना कर के टीचर से बात किए जा रही थी, कि ma’am वंश कैसा कर रहा है , क्लास में ठीक से लिखना पढ़ता है ना?
वंश मम्मा का पल्लू पकड़ कर , और जोर जोर से अपनी बात दोहराए जा रहा था। शायद, उसे ऐसा लग रहा था कि अभी बात मनवा लूं नहीं तो बाद में तो मम्मी सुनेगी नहीं ।
सपना असमंजस कि स्थिति में वंश को रोकने की कोशिश में नाकाम हो रही थी ।
आख़िर, झुंझलाकर कहा ठीक है, देखते हैं, उन्होंने टालने की कोशिश की।
हमें लगता है वह नहीं समझते लेकिन बच्चे तो आखिर बच्चे होते हैं और ल वह हमें हम से ज्यादा समझते हैं ।
उसकी जिद बढ़ी जा रही थी। आखिरकार सपना ने कहा ठीक है, रास्ते में दिला दूंगी, फ़िलहाल बात को टाल कर वो टीचर से बात करना चाहती थी।
इस बार टीचर ने सपना को चुप रहने का इशारा किया। फिर वंश को समझाया “बेटा एक काम करते हैं, पहले आप घर में मम्मा और पापा के साथ मिल कर घड़ी देखना सीखो। जिस दिन अच्छे से सीख जाओगे उस दिन हम घड़ी ले लेंगे ।
आप सोचो घड़ी आपको देखना ही नहीं आएगा तो वो आपका किस काम का ?
वंश को बात जम गई । उसने कहा, मम्मा आप आज मुझे सिखाओगे ना ।
सपना ने बात को इतना सुन्दर तरीके से सम्हलते हुए देख कर खुश हो कर कहा, हां हां, बिल्कुल बेटा।
“हम बच्चों को वस्तु का आवश्यकता, उपयोगिता बता कर सीखा कर समझा पाएं तो बच्चों की अनावश्यक जिद को धीरे धीरे कम कर पाएंगे। ऐसा सही संवाद करने से हो पाएगा, टालने या वादा कर के मुकरने से बात और बिगड़ती है”


Shalu Agarwal ji

Medhasvi kids shiksha Sanskar Pre primary school
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