हे दिव्य पथ के ज्ञाता ,ज्ञान प्रदाता, तुम को अर्पित श्रद्धा सुमन है,
तुमको ही जाने तुमको ही माने, करना तुम्हारा ही अब अनुकरण है,
नहीं कोई दूजा अब स्मरण है, तुम्हारा ही जीवन हमारा भजन है।

  • हे दिव्य पथ के ज्ञाता न्याय प्रदाता, गुरुवर तुम्हें हमारा नमन है,

नहीं कोई शंका नहीं कोई भ्रम है, जागृति ही अब जीवन वरण है,

नहीं कोई दूजा अब स्मरण है, तुम्हारा ही जीवन हमारा भजन है,

तुमको ही जाने, तुमको ही माने, करना तुम्हारा ही, अब अनुकरण है।

  • हे दिव्य पथ के ज्ञाता, शक्ति प्रदाता, गुरुवर तुम्हें हमारा नमन है,

नहीं कोई शंका, नहीं कोई श्रम है, अनुभव में ही अब जागरण है,


तुमको अर्पित श्रद्धा सुमन है, नहीं कोई दूजा अब स्मरण है,

तुम्हारा ही जीवन हमारा भजन है, करना तुम्हारा ही अब अनुकरण है।

  • हे दिव्य पथ के ज्ञाता, विश्वास प्रदाता, गुरुवर तुम्हें हमारा नमन है,

नहीं कोई शंका, असंदिग्ध मन है, निर्भ्रमता ही जीवन धन है,

तुमको अर्पित श्रद्धा सुमन है, नहीं कोई दूजा अब स्मरण है

तुम्हारा ही जीवन हमारा भजन है, करना तुम्हारा ही अब अनुकरण है।

  • हे दिव्य पथ के ज्ञाता, स्नेह प्रदाता, गुरुवर तुम्हें हमारा नमन है,

नहीं कोई शंका,न कोई बंधन है, संबंधों में जीना ही,अब प्राण प्रण है,

तुमको अर्पित श्रद्धा सुमन है,नहीं कोई दूजा अब स्मरण है,

करना तुम्हारा ही अब अनुकरण है।

  • हे दिव्य पथ के ज्ञाता, जागृति प्रदाता, गुरुवर तुम्हें हमारा नमन है,



नहीं कोई शंका, स्थिति में गमन है, तन मन धन सब अर्पण है,

तुमको अर्पित श्रद्धा सुमन है, नहीं कोई दूजा अब स्मरण है,

करना तुम्हारा ही अब अनुकरण है।

  • हे दिव्य पथ के ज्ञाता, जीवन प्रदाता, गुरुवर तुम्हें हमारा नमन है,


अर्पित तुम को श्रद्धा सुमन है, तुमको ही जाने, तुमको ही माने, करना तुम्हारा ही अब अनुकरण है,

नहीं कोई दूजा अब स्मरण है, तुम्हारा ही जीवन हमारा भजन है।

लेखिका श्रीमति सुनीता पाठक जी

Sunita Pathak ji

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