।। जीने दो और जीओ ।।
इस जमाने में “जीओ” इतना हावी हो गया है कि “जीने दो ” के लिए जगह ही नहीं । तिनों अवस्था यानि जमीन, जंगल और जानवर हमको जीने के लिए अवसर दिया है । अतः हमारी जवाबदारी बनता है कि हम भी एक-दूसरे को Space देकर जीऐं और जाऐं । मैं ही हमेशा सही सोचता हूं, मेरा ही विचार ठीक है, मेरे द्वारा गलत हो ही नहीं सकता आदि हठधर्मि मानसिकता से हम सामने व्यक्ति को सुन नहीं सकते है । उनको गलत ठहराना और स्वयं को सही मानना एक वाध्यता बन जाता है । दरअसल दूसरा व्यक्ति भी सही सोच सकता है, सही विचार कर सही जी भी सकता है, ऐसी संभावना से ही व्यवहार में संगीत का प्रगटन सम्भव है जिसे हम “जीने दो” कह सकते है ।
मैं कितना भी गलती अपराध करूँ, मुझे माफ किया जाए, प्यार से समझाया जाए, परंतु दूसरे व्यक्ति करे तो उसे सबके सामने चौराहे पर फासी दे दिया जाए यह कहां का न्याय है । नि:सन्देश न्याय निष्पक्ष ही होता है ।
निरोज
तारीख : 01/06/2024,खरमुंडा
(बिजेपुर)बरगड(ओडिशा)-760832
।। शोध विचार ।।
लालाजी लाठी पे चले गए, गान्धीजी गोली पे
तो रामप्रसाद,भगत,शुकदेव और राजगुरु फांसी पे, लेकिन वे हमारे पूर्वज आजादी के मतवाले कभी दासता या गुलामी को स्वीकार नहीं किया । देश की आजादी के लिए भगतसिंह ने शादी से इन्कार कर परिवार नहीं बसाया । कुलमिलाकर सबके प्रयास से तो देश आजाद हुआ लेकिन मैं मेरे स्वस्वरूप को जानकर अपने विकारों और कृत्रिम वातावरण के दासता से मुक्त हुआ हुं क्या ?
निरोज
तारीख : 08:09:2024
नुआॅखाई पर्व के अवसर पर
अभ्युदय संस्थान, अछोटी