वही चांद सितारे।

वही आसमान!

वही फूल प्यारे।

वही पंछी न्यारे।

वही हवा का झोंका।

वही बारिश की बूंदे।

वही सूरज की किरणें।

वहीं शाम की आहट

वही डूबता नज़ारा

वही घना अंधेरा

वही सपनों का डेरा

वही ख्वाहिशों का मारा

फिर भी वही रोज़ का दिन और रोज़ का सवेरा
लगता है मुझे बहुत प्यारा
लगता है मुझे बहुत प्यारा।

Chitra ji