प्रकृति की गोद,
आसमां के नीचे।
बैठकर जरा सोचें ,
कैसे हो मनु जिंदगी।
समझ से समाधान ,
श्रम से समृद्धि।
यही जीने का राह,
होगी सब की उन्नति।
न भविष्य की चिंता,
न वर्तमान से विरोध,
न भूतकाल की पीड़ा,
न जिंदगी में अवरोध।
स्वयं में नियंत्रण ,
परिवार में प्रेम का बंधन।
समाज में अभयता,
प्रकृति में हो संतुलन।
समस्या से समाधान पाकर,
सुखद राह अपनाइए।
आओ ऐसा संसार बनाएं ,
खुशियों का जिंदगी महाकाएँ।
*****************************
उर्मिला सिदार बुलाँकी रायगढ़ छत्तीसगढ़

Urmila Sidar ji