बन सरल बन सरल
मैं बन जाऊँ सरल
अभिमान का हो न कोई लेश
सरल बन जाऊँ मैं, ना बनू विशेष
साम्य ज्ञान एक ऐसी वस्तु है
श्रेष्टाओं मे दिख जाएगी
सरलता से मिलते सद्गुण
समाधान समृद्धि भी जाएगी
बन सरल बन सरल
गौरव से ही बनते सरल
सामाजिकता मे संतुलित व्यवहार कर
साथ मे चल,मिला कदम
सह-अस्तित्व सरलता का आधार
व्यापक सत्ता सबमे आर-पार
दायित्व कर्तव्य है वहन का सार
उत्सव मे करे सभ्य व्यवहार
बन सरल बन सरल
सामाजिक हो बन सरल
सापेक्षता मे है सम विषम
सब लगा रहे हैं अपना दम
व्यापक सत्ता सब मे पारगामी
समझदारी मे दिख जाएगी
बन सरल,साथ मे हो जीना सबका
अखंड समाज बने,ऐसा हो जीना सबका