दर्शन
पठन श्रवण के जोडो तार
मानवता का यह है सार l
कही कपूर या धूप नहीं है,
है केवल ज्ञान अपार l
कही स्तोत्र या भजन नहीं है,
है केवल भाव विचार l
कही तसबीर या फुल नही है,
है केवल भक्ती साचार l
कही मंदिर या मस्जिद नहीं है,
है केवल मध्यस्थ साकार l
कही प्रिय, हित, या लाभ नहीं है,
है केवल न्याय, धर्म,सत्य आचारl
कही स्वर्ग या नर्क नहीं है,
है केवल सहअस्तित्व आधार
विनोद देशमुख
बुलडाणा