दो दोस्त थे। एक अंधा और एक लंगड़ा ।उनकी दोस्ती बहुत गहरी थी, तथा सभी उनकी दोस्ती को देखकर बहुत खुश होते थे ।
एक बार सभी ने निर्णय लिया कि चलो आज हम इन दोनों की दोस्ती को आजमाते हैं ,और एक प्रतियोगिता का आयोजन किया।
जिसमें यह निश्चित किया गया कि दोनों दोस्त 200 मीटर की रेस लगाएंगे ,और जो जीतेगा उसको समाज की तरफ से एक बड़ा पुरस्कार ,प्रशस्ति पत्र, और सम्मान दिया जाएगा।
इसके साथ ही दोनों दोस्तों को बुलाया गया और उनको इस प्रतियोगिता के बारे में बताया गया ।
दोनों दोस्त सहर्ष तैयार हो गए तथा उनको उनके स्टार्टिंग पॉइंट पर खड़ा कर दिया गया।
और इसके साथ ही रेस शुरू हो गई।
इस रेस में भागते हुए लंगड़ा व्यक्ति पीछे रह गया अंधे को लगा कि यह तो मेरा दोस्त है और फिर वह थोड़ी देर रुका, और अपने दोस्त के पास पहुंचा, और उसको सहारा देते हुए आगे बढ़ता रहा
इस सहारे में उसने यह भी देखा कि जब मैं अपने दोस्त के साथ चल रहा हूं तो मेरी गति में भी तीव्रता आ गई है, क्योंकि अब मैं शंका से नहीं चल रहा अब मैं निशंक होकर चल रहा हूं इस तरह से अंधे ने लंगड़े को सहारा दिया और लंगड़े ने अंधे को मार्गदर्शन।
और अंतिम बिंदु पर दोनों ही दोस्त एक साथ पहुंचकर जीत गए।
इस तरह इस उपलब्धि में दोनों ही दोस्त जीत गए ।
दोनों की जीत को देखकर सभी लोगों ने अत्यंत सराहनीय और प्रशंसनीय अभिव्यक्तियां दी, और कहा; हमने आपकी दोस्ती को आजमाया था लेकिन आज हम जान गए कि आपकी दोस्ती जीत गई और हमारी कल्पनाएं निराधार साबित हो गई!
आज हमें समझ में आया कि प्रतियोगिता का अर्थ है सहयोग के साथ आगे बढ़ना , बढ़ाना; क्योंकि यह आवश्यक नहीं की कोई जीते या कोई हारे ,लेकिन यह आवश्यक है कि सभी जीते और दोस्ती का आधार ही है सहयोग के साथ आगे बढ़ना।
आप दोनों दोस्तों को बधाई हो और आप दोनों ही इस पुरस्कार के, इस सम्मान के; पूर्णता योग्य है!
शिक्षा: सहयोग देने से सहयोग मिलता है।