समझ के हैं तीन पहचान।
ज्ञान, विवेक और विज्ञान।1।

ज्ञान में संवेदना नियंत्रित होती है ।
पूर्णता में ही अपूर्णता स्पष्ट रहती है।2।

बौद्धिक नियम पूर्वक सामाजिक नियम स्पष्ट होते हैं ।
स्वधन, स्वनारी-स्वपुरुष दया पूर्ण व्यवहार-कार्य इनको कहते है ।3।

विज्ञान में रहता है दिशा ज्ञान।
भौतिक क्रिया, रसायन क्रिया, जीवन-क्रिया वर्तमान ।4।

ज्ञान में सतर्कता, सजगता, रहती है गतिमान ।
जीवन क्रिया में प्रमाणित होता अनुभव ज्ञान ।4।

विवेक पूर्वक ही स्पष्ट होता संस्कृति,सभ्यता, विधि, व्यवस्था विधान ।
विज्ञानपूर्वक प्राकृतिक नियमों का होता है ज्ञान।5।

समाधान समृद्धि में सामाजिकता रहती गतिमान।
इकाई में होती सम, विषम, मध्यस्थ गुण की पहचान।6।

मध्यस्थ क्रिया में मध्यस्थ सत्ता का होता ज्ञान ।
चार अवस्था, चार पदों में अस्तित्व नित्य वर्तमान।7।

मात्रात्मक परिवर्तन पूर्वक रहती है की अवस्थाएं गतिमान ।
विकास ही दिशा है गठन पूर्णता ही अमरत्व परिणाम ।8।

भौतिक-रसायन क्रिया में गुणात्मक परिवर्तन ही है विधान।
परिमार्जन पूर्वक जीवन क्रिया में मानव का होना रहना जान।9।

मानव चेतना, देव चेतना, दिव्य चेतना में ही है, अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था का प्रमाण।10।
             
लेखिका  सुनीता पाठक


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