बिम्बन है प्रतिबिंबन है अनुबिबंन है,
बिम्बन से, प्रतिबिंबन से, अनुबिंबन से कण-कण दर्शन है ।1।
बंधन है अणुबंधन है इस बंधन में अनुबंधन है बंधन है अनुबंधन है इस बंधन में प्रयोजन है ।2।
ऊर्जा संपन्नता है क्रियाशीलता है पदार्थावस्था का प्रकटन है
ऊर्जा संपन्नता क्रियाशीलता से स्पंदन है आशा बन्धन है ।3।
पूरकता है उपयोगिता है संबंधों का निर्वहन है।
पूरकता है उपयोगिता है सदुपयोगिता में ही संबंध नियोजन है ।4।
ज्ञानावस्था में गुणात्मक परिवर्तन परिमार्जन है
क्रियापूर्णता, आचरणपूर्णता में स्वतंत्रता, स्वराज्य का प्रसवन है ।5।
अखंड समाज सार्वभौम व्यवस्था में ही विनयोजन है,
सदुपयोगिता पूरकता में ही सहअस्तित्व प्रमाणन है ।6।
चिदानंद, आत्मानंद, ब्रह्मानंद ही ज्ञानार्जन है
सतर्कता, सजगता, सहजता में ही सर्व शुभोदन है ।7।
कायिक-वाचिक-मानसिक, कृत-कारित
विधि से व्यवस्था का अनुमोदन है ।8।
लेखिका सुनीता पाठक