मिनी कक्षा 2 में पढ़ने वाली थी। उसको स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था। रोज स्कूल जाते समय रो पड़ती थी। एक दिन उसकी नानी उसके घर आई। उन्होंने भी मिनी को स्कूल जाते समय रोते देखा। अगले दिन रविवार था। नानी ने मिनी से पूछा, “तुम्हें स्कूल जाना पसंद क्यों नहीं है? क्या तुम्हारी टीचर तुम्हें डांटती है?” “नहीं!” मिनी ने कहा। “क्या तुम्हारे कक्षा के बच्चे तुम्हें परेशान करते हैं?” “नहीं!” मिनी ने कहा। “तो क्या तुम्हें शिक्षक का पढ़ाया समझ नहीं आता?” “नहीं! ऐसा नहीं है,” मिनी ने कहा। “तो फिर क्या बात है?” नानी ने पूछा।
मिनी ने जवाब दिया, “मुझे लगता है मुझे इतनी सारी चीजों के बारे में जानना पड़ेगा। ये इतनी बड़ी है, इस पर इतनी सारी चीजें हैं, क्या मैं थक नहीं जाऊंगी?” तब नानी ने कहा, “अरे कहाँ इतनी सारी चीजें हैं? केवल चार ही प्रकार की चीजें हैं।” “केवल चार प्रकार की?” मिनी ने हैरानी से पूछा। “हाँ, केवल चार ही प्रकार की चीजें हैं। चाहे कक्षा एक में पढ़ो या सबसे बड़ी कक्षा में।” नानी ने बताया। “तो हमें भी चार चीजों के बारे में पढ़ना है और दीदी को भी। तो वे बड़ी कक्षा में क्या हैं?” मिनी ने पूछा। फिर नानी ने समझाया, “देखो जैसे तुम दो रोटी खाती हो, क्योंकि तुम छोटी हो और दीदी चार रोटी खाती है क्योंकि वो बड़ी है।
ऐसे ही तुम चारों चीजों के बारे में थोड़ा-थोड़ा पढ़ोगी और दीदी थोड़ा ज्यादा। और बगल वाले राजन भैया और ज्यादा।”
मिनी ने खुश होते हुए कहा। “लेकिन वो चार चीजें कौन-कौन सी हैं?” मिनी ने पूछा तो नानी ने कहा, “चलो पार्क में चलते हैं वहाँ बताती हूँ।” पार्क में पहुंचकर नानी ने कहा, “अपने आस-पास देखो क्या-क्या दिख रहा है?” फिर मिनी ने ध्यान से देखना शुरू किया और बताना शुरू किया। “यहाँ पर मिट्टी है, पत्थर है, नल है, पेड़ है, झाड़ी है, हमारे पड़ोसी का कुत्ता शेरू है, पेड़ों पर चिड़िया है, बहुत सारे लोग हैं, झूला भी है, फिसलन पट्टी भी है।”
इतना कहकर मिनी हांफने लगी। ‘इतना ही बहुत है,’ नानी ने कहा। ‘अब देखो – मिट्टी, पत्थर, लोहे का झूला, नल आदि सब पदार्थ हैं। इसलिए इन्हें पदार्थ अवस्था कहेंगे। पेड़, झाड़ी, घास, फूल आदि सब वनस्पति हैं जिनमें प्राण होते हैं। इसलिए इन्हें प्राण अवस्था कहेंगे। कुत्ता, चिड़िया, बिल्ली सब जानवर हैं। इसलिए इन्हें जीव अवस्था कहेंगे। और हम सब लोग मानव हैं। इसलिए इसे मानव अवस्था कहेंगे। तो बताओ, चार ही प्रकार की चीजों के बारे में तो पढ़ना है।’ अरे वाह सिर्फ चार! मिनी खुश होकर बोली। ‘ये तो बहुत आसान है।’ उस दिन से मिनी ने खुशी-खुशी स्कूल जाना शुरू कर दिया।
Rajesh Bahuguna