• सपनों में नहीं जीना मुझको*
  • अपनों के संग जीना है*
  • रंग बिरंगी कतरन लेकर*
  • उसको अद्भुत सीना है*



  • संबंधों के ताने-बाने*
  • बुनूं अनोखे धागों से*
  • ओढ़ूं-पहनूं इठलाऊं मैं*
  • अंगिया वही, बिछौना है*

  • क़तरा-क़तरा मीठा है और*
  • रेशा-रेशा नरम-मुलायम*
  • अभिव्यक्ति की छटा निराली*
  • बना ये झीना-झीना है*

  • अपनेपन में डूबा मौसम*
  • पूरकता की बहे बयार*
  • किलकारी की कल-कल धारा*
  • झर-झर झड़ते स्नेह और प्यार*

  • ममता-आंचल की छाया में*
  • सूखे थकन-पसीना है*
  • सपनों में नहीं जीना मुझको* *अपनों के संग जीना है*


संदीप जी देवघर

Sandeep

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