बाल हृदय तिलमिला कर, आहत हो कर , चोट खा कर स्कूल से घर पहुंचा था , मम्मी आप कितना भी देर हो पापा को कार से ही स्कूल लेने भेजा करो , मेरा दोस्त अव्यान कहता है उसके पापा के पास मर्सिडीज है , और उसके घर में 4 कार हैं । पापा के पास तो कार भी नहीं है , पापा को बोलोना ज्यादा कमाएंगे , मेरे दोस्त अव्यान के पापा बहुत कमाते हैं ।
स्निग्धा सोच रही थी कैसे समझाए अपने छोटे से लाडले प्रतीक को , ऐसे घटना इन दिनों अक्सर हो रहा था , कभी किसी दोस्त ने अपने bday में नहीं बुलाया तो कभी किसी का मजाक भारी पड़ जाता ।
बड़े स्कूल में संस्कारी परिवार के दिया गया संस्कार , समाज के धन से पहचान के मान्यता से तिनका जैसे उड़ा का रहा था ।
स्निग्धा प्रतीक के साथ प्रतीक का दोस्त अव्यान को भी समझना चाह रही थी लेकिन कैसे ?
स्निग्धा को लगता था कि ये छोटी छोटी विष वीज , विशाल वृक्ष बने उससे पहले ही इसे पनपने नहीं देना है ।
कुछ दिन बाद प्रतीक का बर्थडे आया , स्निग्धा ने घर में एक छोटा सा बच्चों के लिए पार्टी जैसा रखी थी । बच्चे आए , केक काटे , स्निग्धा के हाथ से बनाया हुआ स्नेक्स खुश हो कर खाए ।
अब स्निग्धा ने कहा कि हम एक game खेलेंगे , जिसमें हम सब बताएंगे की हमे क्या क्या अच्छा लगता है , और क्या करने से वह अच्छा लगने और बढ़ जाएगा ?
जैसे में खिलौना से खेलती हूं तो मुझे अच्छा लगता है लेकिन मै खिलौना शेयर कर के खेलती हूं तो मेरे दोस्तों को भी अच्छा लगता है ।
क्या हम ऐसा कुछ सोच सकते हैं कि हम ऐसे क्या क्या कर सकते हैं जिसमें में भी खुश रहुं और दूसरे भी ।
सभी ने सर्किल बना कर बैठा ।
रिया ने शुरू किया कि मैं homework करके आती हूं तो मुझे अच्छा लगता है लेकिन अगर मै साथ मे मेरे दोस्तो को हेल्प कर दूं तो उन्हें भी अच्छा लगेगा ।
राहुल ने कहा मैं game मैं जीतता हूं तो मुझे अच्छा लगता है ,लेकिन अगर मैं दूसरों को भी जितने का मौका दूं तो उन्हें भी अच्छा लगेगा ।
समीर ने कहा कोई मुझ से प्यार से बात करता है तो मुझे अच्छा लगता है अगर मैं सब से प्यार से बात करू तो सबको अच्छा लगेगा ।
अव्यान का बारी आया तो उसने कहा कि मेरे पापा कार में छोड़ने आते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है , अब से मैं अपने दोस्तो को भी साथ में के जाऊंगा ।
स्निग्धा सुन सुन कर बहुत खुश हो रही थी कि बच्चे कितने अच्छे से समझ रहे हैं , आज उनका खुशी उनका अहंकार नहीं बल्कि उनका खुशी का फैलाव हो रहा है ।
ऐसा नहीं कि बच्चे आज एक बार में ही समझ जाएंगे लेकिन बार बार बच्चों को अलग अलग तरीके से समझाएंगे तो अपने खुशी के लिए दूसरों को दुख नहीं देंगे ।
कैसे हम खुश और सभी खुश ये रास्ते में जाएंगे ।
Shalu Agarwal ji
Medhasvi Kids Shiksha Sanskar Pre Primary School
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