युवराज 3 साल का है , दिन भर खेलना , कूदना , मस्ती करना जैसे कि इस उम्र में ज्यादातर बच्चे करते ही हैं ।
युवराज खेलते ,कूदते , दौड़ते भागते गिर जाता तो जोर जोर से रोने लगता ।
मम्मा युवराज को चुप कराने के लिए कहती “कोई बात नहीं , गीरोगे नहीं तो बड़े कैसे होगे ” ।
ऐसा कुछ बार होने के बाद मम्मा ने नोटिस किया कि अब युवराज जाने अनजाने गिरता है और कहता है कोई बात नहीं मम्मा , गिरूंगा नहीं तो बड़ा कैसे बनूंगा ।
बड़ा होना बच्चो की सहज स्वीकृति होता है , उसको लगा गिरना बड़ा होने की लक्षण है ।

ऐसा पूरा बात कल मेरी सहेली ने मुझ से शेयर किया । वह खुद विदुषी महिला हैं , शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं ।
मैंने कहा सोचो गिरना बड़े होने की निशानी है या संभलना ।
हम छोटे बच्चों को ये भी बता सकते हैं की आपको दौड़ना भी है , खेलना भी है लेकिन अपना शरीर को संभाल के ।
ध्यान रखना ना आपको चोट लगे , ना दूसरे को ।
बच्चे गिर जाए तो हम ये भी बोल सकते हैं कि कोई बात नहीं , ध्यान से चलो , संभालोगे नहीं तो बड़े कैसे होगे , शरीर आपका तो ध्यान आपको ही रखना है ।
चर्चा करके हम दोनों को बहुत अच्छा लगा , हम सोचे इस तरह से छोटे छोटे संवाद जाने अनजाने बच्चो के मन में गहरे छाप छोड़ जाते हैं , हमें बहुत सजगता पूर्वक बच्चों में संस्कार का बीजारोपण करना है ।
संभलना सीखेगा तो आज शरीर संभालेगा कल मन , फिर परिवार , फिर धरती ।


Shalu Agarwal ji

Medhasvi Kids Shiksha Sanskar Pre primary school
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