तुम अब मुझे दुख देने नहीं आते
यकीन नहीं होता ना ?
पर मुझे होता है यकीन,
ख़ुशी भी होती है और
संतुष्टि भी मिलती है
कि अब तुम मेरी दिनचर्या का हिस्सा नहीं
तुम अब मुझे वैसे याद नहीं आते
ना ही अब दुख दे पाते हो
ना ग्लानि
ना मुझ से मेरा कुछ छीन पाते हो
तुम अब मुझे उस तरह याद नहीं आते हो…
हाँ ये ज़रूर है कि
ये सफ़र कठिन या
किसी किसी को
नामुमकिन लग सकता है
पर जब साथ खूबसूरत हो
प्रयास खूबसूरत हो
प्राप्त की कल्पना खूबसूरत हो
प्राप्त को पाना लक्ष्य हो
और लक्ष्य को पूरा करना सुखद सुंदर हो
तब तुम वैसे याद नहीं आते…
हाँ याद नहीं आते!
धीरे धीरे ये ज़ख्म भरते हैं
गिले शिक़वे ख़त्म हो जाते हैं
जैसे फुर्र उड़ गए हों
दम लगता है इसमें
अपने आप को कितनी ही बार
माफ़ करना पड़ता है
पर निश्चय जो कर लिया कि
अब बस सुखी ही रहना है
तो धैर्य बना ही रहता है
और फिर हम
दरअसल मुस्कुराने लगते हैं
सच में जीने लगते हैं
खुश रहने लगते हैं
अब तुम परेशान नहीं कर पाते
भूतकाल तुम,तुम्हारी पीड़ाएँ
वो ग्लानियाँ
वो क्या क्या कहानियाँ
वहाँ बसते वो
तथाकथित बुरे लोग
वो घटनाएँ
वो प्रतिकूलताएँ
वो भय
मृत्यु
अपमान
सब कुछ जो मुझे हिला देता था
अब परेशान नहीं कर पाता
तुम अब मेरी ख़ुशियाँ
मेरी उपलब्धि बन गए
इसलिए तुम अब मुझे दुख देने नहीं आते !
इसलिए तुम अब मुझे दुख दे नहीं पाते …
नीति
19/11/2024