माताजी सुनाती गीत हमको।
गीतों से सिखाती सहयोग हमको ।
नानी से सीखा है भोजन बनाना।
नाना ने बताया समझना समझाना ।
नानी सिखाती करके सहयोग ।
नाना सिखाते उपयोग सदुपयोग।
नानी बताती घर की व्यवस्था।
नाना समझाते संबंधों में सामरस्यता।
दादा और दादी बड़े अनुभवी हैं ।
जीवन की समझते एक एक कड़ी है।
संबंधों में जीना पापा चाचा बुआ को सिखाया।
ताऊ जी ने सहयोग सहकार से सामाजिकता को बताया ।
हम सब छोटों को है बड़ों का संरक्षण ।
हम सब को करना है श्रेष्ठता का अनुकरण अनुसरण।
मौसी सिखाती हिंदी अंग्रेजी वर्णमाला।
हम सबका ध्यान रखती, है हमारी पाठशाला।
मौसा जी हमारे सहभागिता निभाते ।
जब भी जरूरत पड़े तन मन धन लगाते।
बुआ करती बड़ा लाड दुलार।
फूफा जी समझाते संबंध है सुख का सार।
चाचा जी समझाते विश्वास और प्यार ।
चाची निभाती पूरकता से व्यवहार ।
माता पिता के साथ है,अभ्युदय के अर्थ में अनुबंध। परस्पर पूरकता ही है संबंध।
भाई बहन मिलकर एक दूजे के पूरक होते।
तन मन धन से व्यवस्था में भागीदारी करते।
तन मन धन का अर्पण समर्पण।
यही है प्रयुक्ति यही है नियोजन।
हम सब संबंधी हैं एक दूसरे के पूरक।
संबंधों का निर्वाह ही ज्ञान का द्योतक।
सामाजिकता से ही सफल है मानव व्यवहार अखंड समाज सार्वभौम व्यवस्था होता साकार।

लेखिका : श्रीमती सुनीता पाठक जी द्वारा प्रस्तुत

Sunita Pathakji

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