सावन का फुहार ,बूंदों का बौछार।
आया है सावन में,मस्ती भरा बाहर।
हरी -भरी हरियाली सजी है,
वसुंधरा का. प्रांगण।
जल ही जल चहुँओर फैले हैं,
सरोबर हुआ है खेत-खलिहान।
आता है सावन में हरियाली त्यौहार।
सावन का फुहार,-----
सर्र- सर्र -सर्र- सर्र चले पुरवइया,
ताल दे डोले ,जामुन अमुवां।
घूमर- घूमर आए कारी बदरिया,
लब -लबालब ताल तलैया।
बड़ा सुहान लागे सावन का बहार।
सावन का फुहार-----
रिमझिम- रिमझिम बरसे पानी,
भीगी आंगन ,भीगी छानी।
दिवस सुहाना ,दादुर बोले,
रजनी सुहाना,झिंगुर बानी।
डाली- डाली कोयल करे पुकार।
सावन का फुहार-------
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उर्मिला सिदार बुलाँकी रायगढ़ छत्तीसगढ़