यह कविता एक दार्शनिक और सामाजिक चिंतन को प्रस्तुत करती है। इसमें कवि ने मनुष्य के जीवन, प्रकृति के साथ उसके संबंध, और समाज में सहअस्तित्व की आवश्यकता पर विचार किया है।
विश्लेषण:
* क्या पाया और क्या खोया है?: यह प्रश्न मनुष्य के जीवन के सार को दर्शाता है। मनुष्य जीवन में कई चीजें प्राप्त करता है, लेकिन कुछ चीजें खो भी देता है। यह कविता हमें इस बात पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है कि हमने अपने जीवन में क्या पाया है और क्या खोया है।
* लेने की खातिर सब तैयार, क्या देने का भी सोचा है?: यह पंक्ति मनुष्य की स्वार्थी प्रवृत्ति पर प्रकाश डालती है। मनुष्य हमेशा लेने के लिए तैयार रहता है, लेकिन देने के बारे में नहीं सोचता। यह कविता हमें देने के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करती है।
* धरती से सब कुछ मिला हमें, क्या, हवा, क्या धूप या पानी है। अब पूरक होकर जीने की क्या बात किसी ने ठानी है?: यह पंक्तियाँ प्रकृति के प्रति हमारी कृतज्ञता को दर्शाती हैं। हमें प्रकृति से सब कुछ मिलता है, लेकिन हम इसके प्रति लापरवाह हैं। यह कविता हमें प्रकृति के साथ सहअस्तित्व में रहने की आवश्यकता को याद दिलाती है।
* नज़र दौड़ायें जो चारों ओर, मिट्टी, पत्थर पौधे और ढोर। कैसे करते सब अपना काम, इसी में रहता इन्हें आराम। ना कोई झगड़ा ना कोई द्वेष, बढ़िया रखते अपना परिवेश।: यह पंक्तियाँ प्रकृति में सहअस्तित्व का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। प्रकृति के सभी जीवजंतु मिलजुल कर रहते हैं और अपना काम करते हैं। वे एक दूसरे के साथ कोई झगड़ा या द्वेष नहीं रखते और अपने परिवेश को साफ सुथरा रखते हैं।
* मानव भी है बड़ा सयाना, सबकी उपयोगिता को इसने पहचाना। यदि मानव शिक्षित हो जाये, प्रयोजन को वह जान ही जाये। अस्तित्व बना रहे हर वस्तु का, धर्म किसी का छूट ना पाए।: यह पंक्तियाँ मनुष्य की बुद्धि और ज्ञान के महत्व को दर्शाती हैं। मनुष्य ने प्रकृति के सभी चीजों की उपयोगिता को पहचान लिया है। यदि मनुष्य शिक्षित हो जाए तो वह अपने ज्ञान का उपयोग प्रकृति के साथ सहअस्तित्व में रहने के लिए कर सकता है।
* धरती हो सदा समृद्ध, रहे जहां बच्चे, युवा और वृद्ध। समझदारी से धर्म निभाते, गठन से अपनी ताक़त बनाते। मानवीयता हर जगह फैलाते, ना रहता आतंक और भय।: यह पंक्तियाँ एक आदर्श समाज की कल्पना करती हैं। एक ऐसा समाज जहां सभी लोग मिलजुल कर रहते हैं, एक दूसरे की मदद करते हैं, और मानवीय मूल्यों का पालन करते हैं।
* इस धरती को समृद्ध बनाते, अखंड समाज अवधारणा सजाते। सार्वभौम व्यवस्था अपनाते, अस्तित्व सहज दर्शन हो पाते। कठिन नहीं, यह काम आसान, सह अस्तित्व सदा है भासमान।: यह पंक्तियाँ हमें एक बेहतर भविष्य का मार्ग दिखाती हैं। यह कविता हमें बताती है कि यदि हम सब मिलकर प्रयास करें तो एक ऐसा समाज बना सकते हैं जो समृद्ध, शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण हो।
अभिप्राय:
यह कविता हमें जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है। यह हमें प्रकृति के साथ सहअस्तित्व में रहने, मानवीय मूल्यों का पालन करने, और एक बेहतर समाज का निर्माण करने का संदेश देती है। यह कविता हमें यह भी याद दिलाती है कि मनुष्य जीवन में कई चीजें प्राप्त करता है, लेकिन उसे देने के बारे में भी सोचना चाहिए।
यह कविता एक प्रेरणादायक और विचारोत्तेजक रचना है जो हमें अपने जीवन और समाज के बारे में गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करती है।
Review: आओ करें इस पर विचार
Vinod Madhukar Mhatre ji