शीर्षक: सह-अस्तित्व का गान
जीवन है आत्मा, बुद्धि, वृत्ति,चित्त, मन,
सह-अस्तित्व का अनुपम दर्शन।
स्वीकारना, समझना, जीना एक,
मानव जागृति का यही है नेक।
सह-अस्तित्व क्यों, विकास का क्रम,
जागृति की ओर बढ़ते कदम।
मानव शरीर विकास की चोटी,
परमाणु में जीवन की ज्योति।
स्वीकृति के चार सोपान देखो,
समझ के जियो, यही है लेखो।
अनुभव की मुहर लगे जब ज्ञान,
व्यवहार, आचरण बने प्रमाण।
अविद्या, अभिमान का हो नाश,
बोध से जीवन हो प्रकाश।
सह-अस्तित्व का फैले ज्ञान,
मानव मंगल का हो कल्याण।
विनोद मधुकर म्हात्रे
वरोडा,चंद्रपुर, महाराष्ट्र.