लघु नाटिका
अवधि: 40मिनट्स
नाम::
मानव सही में एक ,गलती में अलग:::
पात्र :
कक्षा अध्यापिका
मोनिका
सोनिया
आशु
प्रिया
नंदिनी
जारा
संजना
जेसिका
तेजिंदर
जुड़वा बहने : नाज़नीन और
तबस्सुम
कक्षा अध्यापिका :चलो बच्चों! आज हम बेस्ट फ्रेंड की दोस्ती की गहराई जानते हैं !
मोनिका: क्या अध्यापिका जी कुछ स्पष्ट नहीं हुआ !
अध्यापिका :अभी करती हूं सब स्पष्ट !
अच्छा बताओ हमारी कक्षा में कौन-कौन घनिष्ठ मित्र है यानी Besties
ज़ारा : मैडम जी मोनिका और सोनिया बेस्टी है। यह दोनों तीसरी कक्षा से साथ-साथ है।
शेफाली: हां जी मैडम जी यह साथ-साथ विद्यालय आती हैं; बैठती हैं ;लंच करती है; खेलती है; पढ़ती है ,घर जाते हैं और साथ-साथ होमवर्क भी करते हैं।
कक्षा अध्यापिका :यह तो बहुत अच्छी बात है ,तो चलो मोनिका क्या मैं आपसे सोनिया के बारे में कुछ पूछूं ,बताओगे ?
मोनिका :हां जी अध्यापिका जी!
अध्यापिका: अच्छा तुम वह सारी बातें बताओ जो तुम सोनिया के बारे में जानते हो!
मोनिका :मैडम जी सोनिया के पापा जी आयुर्वेदिक डॉक्टर है, मम्मी जी घर संभालती हैं, दो छोटे भाई हैं, इसे गाना गाना अच्छा लगता है ,फलों में आम पसंद है, ड्रेस में इसे जींस पहनना सबसे अच्छा लगता है, गणित इसे पसंद नहीं,लेकिन इतिहास में रुचि है ,इसे झूठ बोलने वाले लोग पसंद नहीं।
अध्यापिका : आप तो सोनिया के बारे में बहुत कुछ जानती हो ,और भी कुछ खास है तो बताओ।
मोनिका :मैडम जी सोनिया बड़े होकर गायिका बनना चाहती है!
अध्यापिका :चलो सोनिया ,अब आपकी बारी है आप मेरी एक बात पर अच्छी तरह से सोच कर जवाब दो!
सोनिया: हां जी अध्यापिका जी अध्यापिका: आपके बारे में मोनिका ने इतनी सारी बातें बताई हैं ,क्या आप मानते हो कि मोनिका ने आपके बारे में सब कुछ बता दिया है आप ऐसे ही हो और आपका यही पूरा परिचय है।
सोनिया 😑विचारते हुए) हां जी मैडम जी (फिर कुछ सोचते हुए) नहीं जी मैडम जी !
कक्षा में बच्चे हंसते हैं।
आध्या पिका :ओके! चलो अब अपनी क्लास की जुड़वा बहनों से बात करते हैं क्योंकि वह दोनों का तो बचपन से हर पल का साथ है क्यों भाई ठीक है ना!
नाज़नीन और तबस्सुम ?
दोनों बहने: (हड़बड़ाते हुए) क्या जी? मैडम जी?
कक्षा में बच्चे फिर हंसते हैं
अध्यापिका :अरे यह दोनों का तो सुनाई ना देना भी एक सा है!
बच्चे फिर हंसते हुए
नाज़नीन:(सकुचाते हुए)
मैडम जी मैं तो सोनिया के बारे में सोच रही थी कि ऐसा क्या रह गया जो वह मोनिका के बारे में नहीं बता पाई ।
अध्यापिका :यही तो राज है जिसको मैं ही बताऊंगी!
मोनीका सोनिया की ओर देखती है ;सोनिया कंधे उचकाकर अपनी अनभिज्ञता बताती है।
अध्यापिका :अच्छा नाज़नीन तुम तबस्सुम के बारे में बताओ। तबस्सुम :इसे फुटबॉल पसंद है; कुकिंग से ये दूर भागती है ;खाने में इसे फास्ट फूड पसंद है; छुट्टी वाले दिन अब्बा की दुकान में मदद करती है; इसे जोर-जोर से बोलने वाले लोग पसंद नहीं; और बड़े होकर यह वकील बनना चाहती है !
अध्यापिका :बहुत अच्छा अब नाज़नीन,आप बताओ क्या तबस्सुम ने आपका पूरा परिचय दे दिया है ?क्या आपका व्यक्तित्व इससे अलग और कुछ भी है या नहीं ?
नाज़नीन:मैडम जी मुझे तो ऐसा कतई नहीं लगता कि मेरा व्यक्तित्व इतना ही है और ऐसा ही है
अध्यापिका: चलो मैं अब इस परिचयात्मक अभ्यास की एक्टिविटी का कारण स्पष्ट करती हूं; असल में मोनिका और नाजरीन की एक समान सी अभिव्यक्ति का कारण भी एक समान ही है; सोनिया और तबस्सुम ने जो कुछ भी कहा है वह सब उन दोनों के क्रियाकलाप को देखकर ही कहा है जबकि यह सारी रुचियां कार्य और क्रियाकलाप पर आधारित हैं जो ;परिवर्तनशील है, आज पसंद है तो कल को ना पसंद भी हो सकते हैं !अब मैं आपको आपका आप सभी से परिचय करवाती हूं आप सभी अपनों के साथ सुख सम्मान स्नेहपूर्वक जीना चाहते हैं ;बल्कि अपने के साथ ही नहीं, सभी के साथ भी।
बोलो बच्चों, हां या नहीं ?
आशु: हांजी मैडम जी ,लेकिन?
प्रिया :ऐसा ही नहीं है मैडम जी बहुत से बच्चे तो लड़ाई भी करते हैं !
अध्यापिका :बिल्कुल ठीक कहा तो क्या आप भी लड़ाई करते हो?
आशु: नहीं मैडम पर अगर कोई गलत काम करे तो ?
अध्यापिका :वह ठीक है!
लेकिन मैं यह पूछ रही हूं कि क्या आप लड़ाई इसलिए करती हो क्योंकि आप लड़ना चाहती हो?
प्रिया: नहीं मैडम जी लेकिन आशु का कहना भी तो ठीक है कि अगर कोई गलती करे तो?
अध्यापिका :अच्छा अगर आपको पता चल जाए की लड़ाई किए बिना; विरोध किए बिना; चिल्लाए बिना भी हम जानते हैं कि किस तरह किसी की गलती को रोका जा सकता है तब भी क्या आप लड़ाई करोगे?
नंदिनी: अरे मैडम जी क्या बात करते हो !तब तुम मजा ही आ जाएगा! जल्दी बताओ; जल्दी-!जल्दी !
संजना: हां जी मैडम जी क्योंकि मैं तो नंदनी को समझा समझा कर थक गई हूं
(यह कहकर नंदिनी को चिढ़ाती है)
क्लास में बच्चे हंसते हैं
अध्यापिका: अच्छा तो मैं कह रही थी जहां एक तरफ आप स्नेही पूर्वक मिलजुल कर रहना चाहते हो वहीं दूसरी तरफ आप लड़ाई ,विरोध ,गुस्सा ,आवेश इन सभी को भी सही नहीं मानते!
दूसरा; हम सभी अपनों को खुश और पूरी धरती को हरियाली से खुशहाल देखना चाहते हैं!
ऐसा है या नहीं ?
सभी बच्चे :यह तो सही है अध्यापिका जी:अरे अगर आपकी जगह किसी से भी यह पूछा जाए कि क्या आप भी अपनों के साथ ही नहीं; सभी के साथ मिलजुल कर रहना चाहते हो; तो क्या यही उत्तर नहीं आएगा ?जैसा आपने कहा है!
संजना:( हरियाणवी लहजे में) बात तो कती 16 आने सच्ची है मैडम जी !
(सभी हंसते हैं )
अध्यापिका:और जो हम
में अलग-अलग है वह भी व्यवस्था में भागीदारी व संतुलन के अर्थ में है ,जैसे सभी को अलग-अलग रंग ,भोजन, ऑक्यूपेशन ,कपड़े, खुशबू, पसंद है, सोचो अगर सभी को एक ही रंग ,भोजन,ऑक्यूपेशन, कपड़ा ,खुशबू ,पसंद होती तो? कितना creos हो जाता।
तो यह अलगाव भी व्यवस्था के अर्थ में ;संतुलन के अर्थ में है!
जेसिका :इसका मतलब हम सबकी चाहते एक सी हैं!
आशु: और ना पसंदगी भी।
अध्यापिका जी: हां मानव सही में एक है गलती में अलग !
गलती यानी जब हम किसी के अच्छा लगे को ही जो physical चीजों के साथ ही होता है, उसी से सामने वाले का मूल्यांकन यानी व्यक्तित्व की पहचान बना लेते हैं।
तेजिंदर :वाहेगुरु जी! आज तो बहुत अच्छा लगा! हमारी यह मैडम बहुत अच्छी है; आपने हमें अच्छी बातें बताई ।
सभी बच्चे खुश होकर अध्यापिका जी को धन्यवाद देते हैं ।ताली के साथ पर्दा गिर जाता है।