मानवीयता के संरक्षण पर आधारित एक कविता:
मानवता का दीप जलाओ,
प्रेम और करुणा को अपनाओ।
भेदभाव का करो विनाश,
सद्भाव का हो सदा प्रकाश।
मानवीय गुण हो सदा साथ,
सत्य और न्याय की हो बात।
मानवीय दृष्टि हो विशाल,
सृष्टि का हो सदा ख्याल।
मानवता का करो प्रचार,
अच्छे कर्मों का हो विस्तार।
मानवीय व्यवहार हो महान,
सृजन हो एक नया जहान।
नीतिपूर्ण हो व्यवस्था सारी,
मानवता हो सबसे प्यारी।
मानवीयता का हो संरक्षण,
यही है जीवन का रक्षण।
... विनोद मधुकर म्हात्रे
वरोडा, चंद्रपुर ,महाराष्ट्र.
(मानव व्यवहार दर्शन,
श्रद्धेय ए .नागराज जी,
प्रणेता: मध्यस्थ दर्शन सह-अस्तित्ववाद के आलोक में)