आहार विधि को मानव ने
परंपरा से पाया है।
हमारे दादा नाना ने अमूल्य ज्ञान हम तक पहुंचाया है।
वह सब जीवन भर स्वस्थ रहें और लंबी उम्र को पाया है।
हमारे दादा नाना ने वात्सल्य भाव से हमको पाला है।
दिनचर्या रितु चर्या ही स्वस्थता की विधि है।
हम सब की उपयोगिता ही स्वस्थता ही पूंजी है।
परंपरा में जो अच्छा है ।
उसे हैअपनाना ,बाकी के लिए शोध विधि से है जाना ।
हम सब ज्ञान अवस्था में है निश्चित ही समझेंगे। और स्वस्थ मानसिकता व शरीर स्वस्थता के नए पैमाने गढेंगे।
                    लेखिका सुनीता पाठक


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