युगो युगो तक धरती पर सह अस्तित्व प्रमाण रहे
अखंड समाज सार्वभौम व्यवस्था अविराम रहे
मानव के द्वारा संबंधों की निश्चित पहचान रहे ।
परिवार में समाधान समृद्धि अविछिन्न गतिमान रहे।
परिवारों -परिवारों में अभयता विद्यमान रहे ।
मूल्यों में जीकर सुखी मानव संतान रहे ।
मानव परंपरा  में जागृति वर्तमान रहे ।
निपुणता कुशलता पांडित्य में मानव जाति का सम्मान रहे ।
चारों आयाम पांचो स्थितियों में एक सूत्रता प्रवाह मान रहे ।
वसुधैव कुटुंबकम उद्घोष गुंजायमान रहे।
                             लेखिका  सुनीता पाठक


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