कितना प्यारा व्यवस्थित हमारा है परिवार। समझदारी जिम्मेदारी इमानदारी पूर्वक होता भागीदार।
हर इकाई करती है व्यवस्था को साकार ।
समाधान से हम स्वभाव गति में करते हैं व्यवहार। न्याय धर्म सत्य यही है अखंड समाज का आधार ।
एक लक्ष्य एक उद्देश्य एक कार्यक्रम का करते हम विचार।
सारे संबंध प्रयोजन से ही सफल हैं वही है परिवार सात संबंधों में मानव जीता मूल्यों को करते साकार।
बौद्धिक नियम सामाजिक नियम प्राकृतिक नियमों से है आचार।
समझ पूर्वक समाधान प्रमाणित समृद्धि से उत्पादन कार्य।
तन मन धन केअर्पण समर्पण से समाज गति का विस्तार ।
अखंड सामाजिकता में ही है ज्ञान साकार ।
सर्वतो मुखी समाधान ही है जीवन सार।
स्वास्थ्य- संयम, न्याय सुरक्षा उत्पादन के लिए है शिक्षा संस्कार।
                         लेखिका  सुनीता पाठक




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