हे दिव्य पथ के ज्ञाता ज्ञान प्रदाता गुरुवर तुम्हें हमारा नमन है
तुमको ही जाने तुमको ही माने करना तुम्हारा ही अब अनुकरण है ।
नहीं कोई दूजा अब स्मरण है।
ज्ञान को जाने विज्ञान को माने विवेक पूर्वक अब तो वहन है ।
नहीं कोई शंका असंदिग्ध मन है ,निर्भ्रमता ही जीवन धन है।
तुमको ही जाने तुमको ही माने करना तुम्हारा ही अब अनुकरण है।
हे दिव्य पथ के ज्ञाता जागृति प्रदाता गुरुवर तुम्हें हमारा
नहीं कोई शंका नहीं कोई भ्रम है जागृति ही अब जीवन वरण है।
तुमको ही जाने तुमको ही माने करना तुम्हारा ही अब अनुकरण है।
धर्म को जाने , न्याय को माने , सत्य ही आनंदम है।
नहीं कोई शंका नहीं कोई बंधन है संबंधों में जीना अब प्राण प्रण है ।
तुमको ही जाने तुमको ही माने करना तुम्हारा अब अनुकरण है।
हे दिव्य पथ के ज्ञाता प्रेम प्रदाता गुरुवर तुम्हें हमारा नमन है ।
श्रेय को जाने प्रेय को माने लाभ में होता नहीं निर्वहन है ।
नहीं कोई शंका स्थिति में गमन है निरापद होकर संबंधों में रमण है।
तुमको ही जाने तुमको ही माने करना तुम्हारा ही अब अनुकरण है।
अध्ययन को जाने अनुभूति को माने अनुभव में ही पूर्ण फलन है।
नहीं कोई शंका नहीं कोई श्रम है अनुभव में ही अब जागरण है ।
तुमको ही जाने तुमको ही माने करना तुम्हारा अब अनुकरण है।
हे दिव्य पथ के ज्ञाता मध्यस्थ दर्शन के उद्गाता गुरुवर तुम्हें हमारा नमन है
विधि को जाने व्यवस्था को माने सह अस्तित्व में ही प्रकटन है ।
नहीं कोई शंका स्वभाव गति में मगन है ।अर्पित तुमको श्रद्धा सुमन है
तुमको ही जाने तुमको ही माने करना तुम्हारा ही अब अनुकरण है
नहीं कोई दूजा अब स्मरण है तुम्हारा ही जीवन हमारा भजन है
- भजन का अर्थ है जागृति के लिए किया गया क्रियाकलाप ।
-लेखिका सुनीता पाठक