मेरा परिचय: संदीप प्रकाश जी
मैं संदीप प्रकाश, देवघर (झारखंड) का निवासी हूँ। मेरी लेखन यात्रा की शुरुआत बारहवीं कक्षा में, वर्ष 1990 में हुई थी। अपने आस-पास के वातावरण और उत्कृष्ट रचनाओं से प्रेरित होकर, मैंने अपने विचारों को शब्दों में ढालना शुरू किया। तब से, मैं अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करने का प्रयास कर रहा हूँ।
जब मैं कविताएं, कहानियां या गीत लिखता हूँ, तो मुझे आत्मिक संतुष्टि मिलती है। मेरी रचनाएँ न केवल मुझे आनंदित करती हैं, बल्कि मेरे निकट के लोगों को भी खुश करती हैं। मानवीयता और संवेदनशीलता पर आधारित मेरी रचनाएँ पाठकों को भावनात्मक रूप से छूती हैं। मेरा विश्वास है कि यदि प्रस्तुतिकरण समकालीन और प्रभावी हो, तो मेरी कविताएं और कहानियां समाज पर गहरा प्रभाव छोड़ सकती हैं।
आज के समय में, जब अमानवीय सामग्री का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है, मेरा प्रयास है कि मेरी रचनाएँ मानवीयता और संवेदना को बढ़ावा दें। मैं मानता हूँ कि साहित्य को समकालीन संदर्भों में प्रस्तुत किया जाना चाहिए ताकि वह अपने समय की चुनौतियों और समस्याओं को समझने और समाधान सुझाने का माध्यम बन सके।
पिछले सात वर्षों से मैं मध्यस्थ दर्शन (सह-अस्तित्ववाद) का अध्ययन कर रहा हूँ। मैंने अपने वैचारिक निष्कर्षों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास किया है, और इस प्रक्रिया में मेरे परिवार और बच्चों में पठन-लेखन के प्रति रुचि और झुकाव विकसित हुआ है।
मैंने अपनी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने की सहमति दी है ताकि मेरे विचार और अनुभव अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँच सकें। मेरा उद्देश्य है कि मेरी रचनाएँ लोगों को प्रेरित करें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बन सकें।
मेरी रचनाओं को लेकर मुझे मार्गदर्शन और सुझाव की अपेक्षा रहती है, जिससे मैं और बेहतर लिख पाऊं।