मेरा परिचय: शालिनी जी
मैं शालिनी, एक युवा और संवेदनशील लेखिका हूँ। मैंने अपनी लेखन यात्रा 15 वर्ष की आयु में शुरू की थी। सह-अस्तित्व दर्शन के पठन से मुझे अपने लेखन को एक नई दिशा देने की प्रेरणा मिली है। अक्सर मुझे जब कोई विचार गहराई से समझ में आता है, तो वह गेय पद या पंक्तियों के रूप में मेरी लेखनी से निकलता है। ये पंक्तियाँ मेरी स्मृति में स्थिर रहकर पाठकों के मन में गहराई से उतर जाती हैं और उनकी समझ को विकसित करने के क्रम में उनके विचारों को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करती हैं।
मेरी कविताएं और रचनाएँ पाठकों के मानसिक विकास और स्वास्थ्य में अमूल्य योगदान देती हैं। मेरा लेखन अमानवीयता से मानवीयता की ओर पाठकों का आवाह्न करता है, जिससे उनके सोचने-समझने के दृष्टिकोण में बदलाव आता है और वे मानवीयता के मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं।
पिछले एक वर्ष से मैं मध्यस्थ दर्शन (सह-अस्तित्ववाद) का अध्ययन कर रही हूँ और इस दौरान मैंने अपने जीवन में इस दर्शन के सिद्धांतों को लागू करने का प्रयास किया है। मेरी कविताएँ उसी जीवन-दर्शन का प्रतिबिंब हैं, जिसे मैं स्वयं अपने जीवन में जीने का प्रयास करती हूँ। मेरी रचनाएँ वास्तविक जीवन की परिस्थितियों और मानवीय गुणों का चित्रण करती हैं, जिससे पाठकों को सही आचरण की दिशा में प्रेरणा मिलती है।
मैंने अपनी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने की सहमति दी है। इसके साथ ही, मैंने इस बात से भी सहमति व्यक्त की है कि मेरी कविताएँ, कहानियाँ और गीत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा किए जाएं, ताकि मेरी रचनाएँ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सकें और समाज में मानवीयता, सह-अस्तित्व और सकारात्मक सोच का प्रसार कर सकें।