लेखिका परिचय: डॉली गुलाटी जी
मेरा नाम डॉली गुलाटी है। मैंने अपनी पहली कविता 2005 में लिखी थी। बाबाजी को समझकर मैंने लिखना और पढ़ना शुरू किया और उनकी प्रेरणा से आज भी लगातार लिख रही हूँ। कविता लिखते समय मैं अपने भावों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर पाती हूँ और उनसे संवाद के माध्यम से पाठकों के मानसिक विकास में भी योगदान देती हूँ।
मानवीय मूल्यों से भरे गीतों के माध्यम से मैं एक सकारात्मक वातावरण बनाने का प्रयास करती हूँ, जिससे अमानवीयता को दूर किया जा सके। मेरा दर्शन अध्ययन भी 2005 से ही प्रारंभ हुआ। मध्यस्थ दर्शन को समझने के बाद मैंने अपने विचारों और भावों को गहराई से आत्मसात किया और गीतों के रूप में उन्हें प्रस्तुत किया। इसके साथ ही, मैं इन भावों को अपने जीवन में जीने का निरंतर अभ्यास करती रहती हूँ।
मैंने अपनी रचनाओं को ‘futureofwriting.org’ वेबसाइट पर प्रकाशित करने की सहमति दी है और यह भी स्वीकार करती हूँ कि मेरी कविताओं, कहानियों और गीतों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा किया जाए। मेरा उद्देश्य है कि मेरी रचनाएँ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचें और मानवीय मूल्यों को प्रोत्साहित कर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में योगदान दें।