अगर हम बच्चे को सही जीने की शिक्षा दे रहे हैं।
एक अभिभावक के रूप में या शिक्षक के रूप में।
कितने सतर्क होकर चलने की आवश्यकता है।

एक बार मैं अपने क्लास(PP - l )में गई हमेशा की तरह।
सभी बच्चों को नमस्ते कहा,good morning कहा।
सभी बच्चों ने मुस्कुराते हुए खुश होकर नमस्ते किए।
पर एक बच्चा नाराज दिख रहा था ।
मुंह बनाया हुआ था।
मैंने उसके पास जाकर पूछा बेटा आपने नमस्ते नही कहा अध्यापिका जी को।🙄

बेटा जी ने कहा,(गुस्से से)आप झूठ बोलती हैं।
सभी बच्चे मेरी ओर देखने लगे।
मुझे सुनकर अच्छा नहीं लगा । कटघरे में अकेली खड़ी थी😅
फिर मैने (हिम्मत करके😰) दुबारा पूछा बेटा जी मैने झूठ कब बोला।
बेटा जी वापस फिर कहे आप रोज झूठ बोलती हैं।
😫
अब तो मेरी हालत और खराब हो गई ।
अब मेरे लिए पता करना जरूरी हो गया कि मैं झूठ कब ,कैसे बोल गई , क्या बोल दी बच्चे से।😱

सारे बच्चे मेरे तरफ देख रहे थे अपने नन्ही नन्ही आंखों से।

फिर मैं उस बच्चे के पास बैठ कर बोली बेटा जी बताओं न बेटा कहां गलती हो गई मेरे से ,
ऐसा सुनते ही बेटा जी मेरे भाव देखकर बताए कि
आप रोज बोलती हैं बैलून लाऊंगी और नहीं लाती।

मुझे राहत लगा इतनी छोटी सी बात थी न जाने क्या बात होगी लग रहा था।

लेकिन दूसरे ही पल बच्चे की नजरिए से सोचा उसके लिए तो मैं हर दिन झूठी साबित हो रही थी।
बोलती थी कल मैं आप लोग के लिए बैलून लाऊंगी ,कुछ बच्चे कैसे हमारे आश्वासन को सही मानकर चलते हैं,
इस तरह से आश्वासन देकर पूरा नहीं करने से बच्चे के मन में कितना प्रभाव पड़ सकता है।

कुछ बोल पाते हैं कुछ नहीं।

और फिर मैने समझाया बेटा ये झूठ नहीं था मैं लाने का बोली ।
लेकिन आते समय ध्यान से उतर जाता था।
अब कल पढ़ाई बैलून से ही होगी।
फिर एक आश्वासन दे दिया,लेकिन पूरी जिम्मेदारी से सतर्क सजग होकर।

बच्चे सभी पुनः खुश हो गए। मासूम बच्चे

और मैं घर जाते वक्त ही इस बात को प्राथमिकता में रख कर बैलून ली।

Next day सभी बच्चों के साथ खुशहाली से क्लास हुई।


ऐसी छोटी छोटी घटना हमें बहुत कुछ सिखा जाती है।
शिक्षक सिखाने से ज्यादा सीखता है😄👍🏻
05/12, 23:13 Suchitra Shrivastava: सच्ची घटना जो मेरी क्लास में हुई।
बेटा जी 11th में हैं।

Suchitra ji

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