नमस्ते! नमस्ते!

सभी बच्चे हाथों से तालियां बजा रहे हैं। “जन्मदिन की बधाई हो बेटाजी (नित्य)”
देखो कितने सारे लोग इकट्ठे हो गए हैं। छोटे-छोटे हाथ, बड़े-बड़े हाथ, तुम्हारे हाथ, मेरे हाथ, हम सभी के हाथ तालियां बजा रहे हैं।

‘जन्मदिनम् इदं’ गाना गा रहे हैं।
जब हम एक दूसरे से मिलते हैं तो हम हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं। अभिवादन करते हैं।
मैं और माताजी जब बाहर घूमने जाते हैं तो मैं मेरी मां का हाथ पकड़ता हूं।
पिताजी का हाथ पकड़ कर खेत में जाताहूं । खेत में हम बीज बोते हैं,घास भी निकालते हैं।
चाचाजी के साथ गौशाला भी जाता हूं। मेरे चाचाजी अपने हाथों से गाय का दूध निकालते हैं। हाथों में गिलास पड़कर मैं वही दूध रोज पीता हूं।

हमारे गांव में एक आंगनबाड़ी है। मेरे सारे दोस्त अपने हाथ में पानी की बोतल और टिफिन लेकर वहां आते हैं। मैं भी मेरी नानी का हाथ पकड़ कर आंगनबाड़ी जाता हूं।
मेरी माताजी जो-जो काम करती है,मैं उन सभी कामों को करना चाहता हूं। माताजी आटा निकालती है, मैं आटे में हाथ डालता हूं। मुझ पर और मेरी बहन के चेहरे पर मेरे आटे वाले हाथों से मूछे निकालता हूं। बहुत मजा आता है।

माताजी को मैं सहयोग भी करता हूं। उन्हें बर्तन लाकर देता हूं। हाथों से कभी रोटी बेलता हूं, तो कभी कपड़ों को साबुन लगाता हूं।
हमारे घर में बहुत सारी किताबें है । मैं अपने हाथों से किताबें लाता हूं । चाचा को, बाबा को, मां को, नानी को लाकर देता हूं । माताजी पढ़ती है, मैं अपने हाथों से किताब के पन्ने पलटता हूं ।

मेरे हाथों से मैं पजल भी जोड़ता हूं । पिताजी जब पजल जोड़ते हैं तो मैं ध्यान से उन्हें देखता हूं । और दादा जब सब्जी लाने जाते हैं तो मैं हाथ में थैली लेकर उनके साथ निकलता हूं।

पापा तेल घानी चलाते हैं । तेल निकाल कर गांव में देते हैं तब मैं उनके साथ रहता हूं । मूंगफली , तिल्ली में हाथों से टीला बनाता हूं । उंगली घुमाकर चित्र निकालता हूं ।
कभी-कभी हम सब मिलकर नदी किनारे जाते हैं । वहां की रेती में मैं घंटो खेलता हूं । मेरे हाथों से मैं रेत के लड्डू भी बनाता हूं । घर आते ही पिताजी मुझे नहलाते हैं, तब मैं हाथों से साबुन लगाता हूं और साबुन के फुग्गे भी बनाता हूं।

जब छुट्टियों में मैं और मेरा भाई मिलते हैं तब हम एक दूसरे पर पानी उछालते हैं । बड़ा मजा आता है । पानी में कागज की नाव तैराते हैं, मिलकर गाना गाते हैं। कभी-कभी एक दूसरे को हम अपने हाथों से खाना भी खिलाते हैं । हाथ पकड़ कर दौड़ते हैं, फूलों का हार बनाते हैं।
खेल-खेल में कभी झगड़ा भी होता है । उस समय हमारे हाथ गलत काम करते हैं । हम दोनों एक दूसरे को धक्का मुक्की करते हैं।

‘मेरी उंगलियां जादू करती, देखोss देखोss देखोss’ यह शोभा आजी का गीत हमें बहुत पसंद है । गाना गाते समय हम हाथों से हिरण, तितली, मछली बनाते और हां तबला भी बजाते हैं।

हाथों से हम पेड़ के पत्तों को छूकर देखते हैं । इनका स्पर्श कभी मुलायम तो कभी-कभी खुरदुरा होता है।
अब मैं बड़ा हो गया हूं,3 साल का।

सुबह उठकर मैं अपने हाथों से दांतों की सफाई करता हूं । अपना खाना अपने हाथों से खाता हूं । कभी-कभी खुद ही नहाता भी हूं।
ब्रश से पेंटिंग करता हूं, हाथों को रंग लगाकर कागज पर छाप बनाता हूं।

जब कभी मुझे बुखार आता है तो माताजी मेरे सिर पर से हाथ फेरती है, दवाई भी खिलाती है।
मेरे, अपने, सभी के हाथ कितना सारा काम करते हैं !
लेकिन कभी-कभी मुझे हाथ धोने में बड़ा आलस आता है । “हाथ धोने चाहिए” ऐसा मां हमेशा समझाती है ।अब मैं वह भी धीरे-धीरे सीख रहा हूं।

जब हम सब बच्चे मिलते हैं तो एक दूसरे का हाथ पकड़ कर खेलते हैं, अच्छा काम करते हैं, तो सभी हमारी तारीफ करते हैं।
‘हम अपने हाथों से अच्छा काम करते हैं तो वह ‘सुंदर’ कहलाते हैं’ ऐसा एक दिन मेरे नानी ने कहा था । और ‘सुंदर हाथों’ की कहानी भी सुनाई थी।

‘भाईजी बहनजी हम मिलकर सहयोग करते हैं, हंसते गाते हम सब मिलकर काम करते हैं!’
हम सभी के पास सुंदर हाथ है।
“हैप्पी बर्थडे नित्य बेटा जी!” “जन्मदिन बधाई हो नित्य!” “नमस्ते!” “बाय-बाय!” “मिलते हैं!”


कल्पना संचेती।

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