ये और वो।
ये क्या है क्यू है कैसे हैl
ये ऐसा है वैसा जैसा है l
मान ने से अच्छा लगता हैl जानने से सच्चा लगता हैl अस्तित्व हमारा कैसा है जैसा दिखता है वैसा है l
ये न बना बनाया है ये न सजा सजाया हेl
ये तो स्वयं ही प्रगटन हैl
ऐसा जिसने देखा है उसने जगको बताया हैl
ये भी वस्तु है वो भी वस्तु है l
ये उससे ऊर्जित है वो इससे प्रगट हैl
ये है क्युकी वो है वो है क्यू की ये हैl
उसका होना होता है इसका रहना होता हैl
वो नित्य है वो सास्वत है l
इसे प्रकृति कहते है उसे ईश्वर कहते हैl
इसको समझा सकते है इसको शिखा सकते है l
इसको पढ़ाया जाता है ऐसा जिया भी जाता है ।

Jay kumar ji