वो क्या है क्यू है कैसा है
वो ऐसा है वैसा है जैसा है
मानते सभी अनेक है जानो तो एक है
व्यापक हमारा कैसा है
वो डूबा भीगा घिरा है
वो न आता जाता है
न इसने किसको बनाया है
न किसने इसको बनाया है
न वो गिना जाता है न वो नापा जाता है
वो पूर्ण है शुद्ध है बुद्ध है
वो अखंड है अनंत है अव्यक्त है
वो मूल ऊर्जा है वो निरपेक्ष है
वो सर्वज्ञ है सर्वत्र है
ये उसका ऐश्वर्य है वैभव है


जय कुमार जी

Jay Kumar ji

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