चुभते हैं, दुखते हैं, बड़े पीड़ादाई हैं,
संकीर्ण मानसिकताओं के ये दायरे ।
सुविधा संग्रह में रहे तलाश सुख,
सब हो चले क्या बाँवरे ?
कुंठित विचार की ही महिमा है,
तेरा मेरा की दीवार,
नहीं बंधा है सीमाओं से,
स्नेह, न्याय और प्यार ।
Shalini Janak ji