भाषा वही जो।
सत्य को व्यक्त कर पाये
मूल्यों सेअनुभूति तक का
मार्ग प्रशस्त कर जाए
शब्द से अर्थ अर्थ से वस्तु
अस्तित्व में अर्थ बोध कराए
चित्त से आगे पहुंचे नही
तब भी भास, आभास ,प्रतीति पूर्वक
कल्पना में अनुभूति को भर जाए।
महिमा जानू भाषा की चित्त से
आगे जाती नहीं पर
अनुभव मूलक विधि से
सुनीता पाठक



Back